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Pakistan: पाकिस्तान में आम चुनाव से पहले बनी आतंकवादियों की सरकार, तालिबान ने जारी की मंत्रियों की लिस्ट

Pakistan: पाकिस्तान में अगले महीने आम चुनाव होने वाले हैं. लेकिन इससे पहले ही पाकिस्तान में सरकार का गठन भी हो चुका है. इसके साथ ही मंत्रिमंडल का विस्तार भी हो गया है.

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Manish Pandey
Tahrik-e-Taliban

हाइलाइट्स

  • तालिबान ने पाकिस्तान में बनाई अपनी सरकार
  • चुनाव से पहले पाकिस्तानी उम्मीदवारों पर हो रहे हमले

Pakistan: पाकिस्तान की सत्ता और चुनाव वैसे तो हमेशा ही दुनिया में चर्चा में रहती है. लेकिन इस बार पाकिस्तान में बिना चुनाव के ही सरकार बन गई है. पाकिस्तान में आम चुनाव अगले महीने 8 फरवरी को होने वाला है, लेकिन उससे पहले ही आतंकवादी संगठन तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान ने साल 2024 के लिए अपनी सरकार की घोषणा कर दी है. इतना ही नहीं, तालिबान ने बाकायदा अपनी आधिकारिक वेबसाईट पर अपनी कैबिनेट की लिस्ट भी जारी की है.

तालिबान की कैबिनेट में 130 नेताओं और अधिकारियों की हुई नियुक्ति 

तालिबान द्वारा जारी लिस्ट के अनुसार, 2024 के लिए 130 नेताओं और अधिकारियों की नई नियुक्तियां की गई है. इसका प्रमुख मुफ्ती नूर वली महसूद को बनाया गया है. जबकि वरिष्ठ आतंकवादी कमांडर मौलवी अजमतउल्लाह महसूद को मालाकंद डिवीजन का गवर्नर बनाया है. इसके साथ ही आतंकवादी कमांडर हिलाल गाजी को पाकिस्तान के उत्तरी पंजाब का गवर्नर बनाया है और आतंकवादी कमांडर फरमान को हजारा इलाके की कमान सौंपी गई है. 

तालिबान की सरकार में चौधरी मुनीबुर रहमान को सूचना और प्रशासन मंत्रालय की जिम्मेदारी दी गई है, जबकि मुजाहिद साहब को रक्षा विभाग, मुफ्ती अबू मंसूर असीम को राजनीतिक मामलों का मंत्रालय सौंपा गया है. इसके साथ ही  कल्याण और सुधार मंत्रालय की जिम्मेदारी मुफ्ती तारिक महमूद, मोहम्मद साहब जवाबदेही मंत्रालय, हनीफ फारुकी को शिक्षा मंत्रालय की जिम्मेदारी दी गई है.

अफगानिस्तान की तर्ज पर पाकिस्तान में राज करना चाहता है तालिबान 

गौरतलब है कि आतंकवादी संगठन तालिबान पूरे पाकिस्तान को अफगानिस्तान की तरह अपना राज्य मानता है और अफगानिस्तान की तरह ही पाकिस्तान में भी अपने राज्य के विभिन्न इलाकों में वो अपने मंत्री और गवर्नर की नियुक्ति करता है. इतना ही नहीं, पाकिस्तान में तालिबान और पाकिस्तानी खुफिया एजेंसियों के बीच कई बार वर्चस्व की लड़ाई भी देखने को मिली है, जिसमें कई बार तालिबान पाकिस्तानी खुफिया एजेंसियों पर भारी पड़ा है. जिसके कारण इन इलाकों में आतंकवादी संगठन तालिबान का प्रभुत्व कायम रहता है.