नई दिल्ली: पाकिस्तान की राजनीति एक बार फिर बड़े विवाद में घिर गई है. जेल में बंद इमरान खान के हालिया बयानों के बाद पाकिस्तान सेना ने असाधारण प्रतिक्रिया दी है.
DG ISPR लेफ्टिनेंट जनरल अहमद शरीफ चौधरी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर इमरान पर तीखा हमला बोला और उन्हें 'मेंटली इल' बताते हुए राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा तक करार दिया. दोनों पक्षों के बीच यह टकराव ऐसे समय बढ़ा है जब इमरान की स्वास्थ्य और सुरक्षा को लेकर अफवाहें भी तेजी से फैल रही हैं.
DG ISPR लेफ्टिनेंट जनरल अहमद शरीफ चौधरी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में इमरान खान को लेकर बेहद कठोर शब्दों का इस्तेमाल किया. उन्होंने कहा कि इमरान लगातार ऐसे बयान दे रहे हैं जो सेना और राष्ट्रीय संस्थाओं के खिलाफ माहौल बनाते हैं. जनरल चौधरी के अनुसार, इमरान का यह व्यवहार 'मानसिक अस्थिरता' और 'सत्ता मोह' से प्रेरित है, जो देश की एकता के लिए खतरनाक हो चुका है.
प्रेस कॉन्फ्रेंस में जनरल चौधरी ने एक अत्यंत विवादित टिप्पणी करते हुए कहा कि यदि भारत के हमलों के समय इमरान सत्ता में होते, तो 'भीख का कटोरा लेकर बातचीत के लिए भारत भाग जाते.' इस बयान ने पाकिस्तान की राजनीति में नई आग लगा दी है. सेना के इस बयान को विपक्षी दल गंभीर आरोप और राजनीतिक हस्तक्षेप के रूप में देख रहे हैं.
इमरान खान ने जेल से जारी अपने हालिया संदेशों में सेना प्रमुख फील्ड मार्शल आसिम मुनीर पर तीखा हमला बोला था. उन्होंने आरोप लगाया कि पाकिस्तानी सेना 'मानसिक रूप से अस्थिर नेतृत्व' के अधीन है. इमरान ने यहां तक दावा किया कि उनके परिवार के सदस्यों को निशाना बनाया जा रहा है और देश में 'माफिया राज' चल रहा है. सेना का जवाब इन्हीं बयानों को लेकर आया.
कुछ दिन पहले सोशल मीडिया पर इमरान खान की मौत की अफवाह फैल गई थी. इस पर PTI समर्थकों और इमरान की बहनों ने जेल के बाहर विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया. बाद में उनकी बहन को जेल के भीतर जाकर मुलाकात की अनुमति मिली, जहां उन्होंने इमरान की स्थिति की जानकारी ली. हालांकि राज्य की ओर से कहा गया कि इमरान पूरी तरह सुरक्षित हैं.
पाकिस्तान में राजनीति और सेना का संघर्ष नया नहीं है, लेकिन इस बार दोनों पक्ष खुलकर आमने-सामने हैं. सेना का कहना है कि वह राजनीति से दूर है, लेकिन राष्ट्रीय संस्थाओं की मर्यादा तोड़ने वाले किसी भी व्यक्ति को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. वहीं इमरान का आरोप है कि उन्हें सत्ता से गिराने में पूरी तरह सेना की भूमिका रही. यह टकराव पाकिस्तान की स्थिरता पर गहरा प्रभाव डाल सकता है.