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India Daily

चीन से दोस्ती नहीं आई काम, कंगाली के दौर से गुजर रहा ये पड़ोसी देश, भारत ने बढ़ाया मदद का हाथ

मालदीव गंभीर आर्थिक संकट का सामना कर रहा है और उसके विदेशी मुद्रा भंडार में केवल 18.8 मिलियन डॉलर बचे हैं. बढ़ते विदेशी कर्ज और पर्यटन पर निर्भरता ने उसकी अर्थव्यवस्था को कमजोर कर दिया है. भारत ने मदद के लिए 50 मिलियन डॉलर के कर्ज की वापसी अवधि एक साल के लिए बढ़ा दी है.

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Edited By: Km Jaya
मालदीव
Courtesy: Pinterest

Maldives Economic Crisis: भारत के करीबी पड़ोसी देशों में आर्थिक संकट गहराता जा रहा है. पाकिस्तान और श्रीलंका के बाद अब मालदीव दिवालिया होने की कगार पर पहुंच गया है. मालदीव के विदेशी मुद्रा भंडार का हाल इतना खराब हो चुका है कि अगस्त में देश के पास उपयोग लायक केवल 18.8 मिलियन डॉलर ही बचे थे. यह रकम एक महीने के आयात की जरूरतों को पूरा करने के लिए भी काफी नहीं है.

मालदीव की अर्थव्यवस्था पर्यटन पर बहुत ज्यादा निर्भर है. कोविड-19 महामारी और भारतीय पर्यटकों की संख्या में गिरावट के कारण देश की आमदनी पर भारी असर पड़ा है. इसके अलावा, मालदीव पर विदेशी कर्ज का बोझ तेजी से बढ़ा है. 2025 में उसे 600 मिलियन डॉलर और 2026 में 1 बिलियन डॉलर का कर्ज चुकाना होगा. इस विदेशी कर्ज में चीन और भारत दोनों ही प्रमुख ऋणदाता हैं, लेकिन चीन से नजदीकी ने मालदीव की स्थिति को और जटिल बना दिया है.

अर्थव्यवस्था की नाजुक हालत 

मालदीव मौद्रिक प्राधिकरण (MMA) के मुताबिक, जुलाई में देश का उपयोगी विदेशी मुद्रा भंडार 213 मिलियन डॉलर था, जो अगस्त में घटकर 188 मिलियन डॉलर रह गया. यह लगातार गिरावट मालदीव की अर्थव्यवस्था की नाजुक हालत को दिखाती है. उपयोगी भंडार की गणना कुल भंडार से अल्पकालिक ऋण घटाकर और घरेलू बैंकों में निवेश किए गए डॉलर को जोड़कर की जाती है.

भारत ने की मदद

भारत ने संकट की इस घड़ी में मालदीव की मदद का हाथ बढ़ाया है. भारत ने मालदीव को दिए गए 50 मिलियन डॉलर के कर्ज की वापसी अवधि को एक साल के लिए आगे बढ़ा दिया है और इसके बदले कोई ब्याज न लेने का भी ऐलान किया है. यह कदम मालदीव के लिए बड़ी राहत साबित हो सकता है.

बदलते दिख रहे हालात 

मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू को चीन का करीबी माना जाता रहा है. राष्ट्रपति बनने के बाद उन्होंने भारत के साथ रिश्तों में खटास पैदा कर दी थी. भारतीय सैनिकों को मालदीव से बाहर निकालने के साथ ही भारत से मिले हेलीकॉप्टर और विमान के संचालन पर भी रोक लगा दी थी. लेकिन अब हालात बदलते दिख रहे हैं. पिछले कुछ महीनों में मुइज्जू का रुख नरम पड़ा है और वे भारत के साथ संबंधों को फिर से मजबूत करने की कोशिश कर रहे हैं.