भारत और चीन के बीच तनावपूर्ण रिश्तों में धीरे-धीरे गर्मजोशी लौटती दिख रही है. इसी क्रम में विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने चीन की राजधानी बीजिंग का दौरा किया, जहां उन्होंने कई अहम बैठकें कीं. यह दौरा खास इसलिए भी है क्योंकि यह गलवान संघर्ष के बाद उनकी पहली चीन यात्रा है. इस दौरान उन्होंने दोनों देशों के बीच रिश्तों को सामान्य करने और आपसी सहयोग बढ़ाने पर जोर दिया.
जयशंकर ने बीजिंग में चीन के उपराष्ट्रपति हान झेंग से मुलाकात की और 75 साल के राजनयिक संबंधों का जिक्र करते हुए कहा कि कैलाश मानसरोवर यात्रा की बहाली भारत में सराही गई है. उन्होंने विश्वास जताया कि यदि संबंध सामान्य होते रहे, तो यह दोनों देशों के लिए लाभकारी साबित होगा. उन्होंने यह भी कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच अक्टूबर 2024 में कज़ान में हुई बैठक के बाद से दोनों देशों के रिश्तों में सुधार देखा गया है. जयशंकर के अनुसार, यह यात्रा इस सकारात्मक रुझान को आगे बढ़ाएगी.
भारत और चीन के बीच 2020 में गलवान घाटी में हुई हिंसक झड़पों के बाद रिश्ते बेहद तनावपूर्ण हो गए थे. हालांकि, अक्टूबर 2024 में भारत के विदेश सचिव विक्रम मिस्री द्वारा एलएसी पर टकराव वाले इलाकों से सेनाओं के पीछे हटने की घोषणा के बाद रिश्तों में कुछ राहत आई. इसके बाद प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति शी जिनपिंग की बैठक हुई और दोनों देशों ने सीमा और विदेश मामलों पर विशेष प्रतिनिधियों की वार्ता सहित कई संवाद तंत्रों को दोबारा सक्रिय किया. दिसंबर 2024 में अजित डोभाल और वांग यी की बैठक और जनवरी 2025 में विक्रम मिस्री की चीन यात्रा इन प्रयासों का हिस्सा रही है.
जयशंकर का यह दौरा तियानजिन में होने वाली शंघाई सहयोग संगठन (SCO) की विदेश मंत्रियों की बैठक से पहले हुआ है. यह एक ऐसा मंच होगा जहां भारत और पाकिस्तान के उच्च स्तर के नेता एक साथ उपस्थित होंगे. इस बैठक से पहले पिछले महीने राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह भी SCO बैठक के लिए चीन गए थे. हालांकि राजनाथ सिंह ने आतंकवाद को लेकर स्पष्ट भाषा के अभाव में बैठक के बाद साझा बयान पर हस्ताक्षर करने से इनकार कर दिया था. इसके अलावा उम्मीद की जा रही है कि वांग यी इस महीने के अंत में भारत आ सकते हैं, जहां दोनों देशों के विशेष प्रतिनिधियों के बीच अगली दौर की बातचीत होगी.