Donald Trump Tariff Dispute: राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा आयातित वस्तुओं पर लगाए गए भारी टैरिफ अब अमेरिका में कानूनी विवाद का कारण बन गए हैं.अमेरिकी अपील अदालत में गुरुवार को सुनवाई के दौरान जजों ने ट्रंप के टैरिफ लगाने के अधिकार को लेकर गंभीर सवाल उठाए. इस मुद्दे पर अदालत आज कोई अहम फैसला सुना सकती है.
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक वाशिंगटन डीसी स्थित संघीय सर्किट कोर्ट में पांच छोटे व्यवसायों और 12 डेमोक्रेटिक-शासित राज्यों की ओर से दायर दो मुकदमों की सुनवाई चल रही है. इन मामलों में ट्रंप के टैरिफ को अंतरराष्ट्रीय आपातकालीन आर्थिक शक्ति अधिनियम यानी IEEPA के तहत अवैध बताया गया है. याचिकाकर्ताओं का कहना है कि ट्रंप ने संविधान का उल्लंघन करते हुए वह अधिकार इस्तेमाल किया जो केवल अमेरिकी कांग्रेस को प्राप्त है.
ट्रंप ने अपने कार्यकाल में फरवरी 2020 में चीन, कनाडा और मैक्सिको जैसे देशों पर टैरिफ लगाए थे. इसके अतिरिक्त अप्रैल में उन्होंने कई अमेरिकी व्यापारिक साझेदारों पर भी रेसिप्रोकल टैरिफ लगाए. इस टैरिफ नीति के तहत उन्होंने दावा किया था कि यह अमेरिका के व्यापारिक हितों की रक्षा के लिए जरूरी कदम हैं लेकिन अब यह मामला कानूनी पेंच में उलझ गया है.
अदालत में सरकार का पक्ष रख रहे वकील ब्रेट शूमेट ने दलील दी कि IEEPA राष्ट्रपति को आपातकालीन स्थिति में 'असाधारण' अधिकार देता है, जिसमें आयात को नियंत्रित या रोकने की भी क्षमता होती है. हालांकि, जजों ने इस तर्क पर असहमति जताते हुए कहा कि IEEPA में टैरिफ का कोई स्पष्ट उल्लेख नहीं है. एक जज ने यहां तक कह दिया कि यह कानून टैरिफ की बात तक नहीं करता. सरकारी वकील ने कहा कि राष्ट्रपति को संकट की स्थिति में आयात पर नियंत्रण रखने का पूरा अधिकार है, लेकिन अदालत का झुकाव यह जानने की ओर था कि क्या ट्रंप ने IEEPA की सीमाओं का अतिक्रमण किया है.
विरोधी पक्ष ने जोर देकर कहा कि ट्रंप का फैसला न केवल कानून के खिलाफ है, बल्कि संविधान द्वारा दिए गए शक्तियों का दुरुपयोग भी है. अमेरिकी संविधान के अनुसार, टैक्स और टैरिफ लगाने का अधिकार केवल कांग्रेस के पास है, न कि राष्ट्रपति के पास.