menu-icon
India Daily

पहले कंबल पर लिटाते हैं, फिर दिल पर गोली मारता है जल्लाद, यमन में भारतीय नर्स निमिषा को मिली है सजा-ए-मौत

केरल की नर्स निमिषा प्रिया को यमन में एक नागरिक की हत्या के मामले में मौत की सजा सुनाई गई है. जल्लाद द्वारा दिल पर गोली मारकर दी जाने वाली यह सजा 16 जुलाई को दी जानी है. यमन में मौत की सजा का तरीका बेहद वीभत्स माना जाता है, और भारत सरकार इस सजा को टालने के लिए कूटनीतिक और मानवीय स्तर पर हरसंभव प्रयास कर रही है. 'ब्लड मनी' के जरिए रिहाई की संभावना भी तलाशी गई, लेकिन अब तक कोई सफलता नहीं मिली है.

auth-image
Edited By: Kuldeep Sharma
nimisha
Courtesy: web

केरल के पलक्कड़ जिले की रहने वाली नर्स निमिषा प्रिया यमन में 2017 से जेल में बंद हैं. उन पर एक यमनी नागरिक की हत्या का आरोप है, जो उनका बिज़नेस पार्टनर था. इस मामले में 2020 में उन्हें मौत की सजा सुनाई गई थी. उनकी अपील नवंबर 2023 में खारिज कर दी गई और अब 16 जुलाई 2025 को उन्हें सजा-ए-मौत दिए जाने की संभावना है. इस समय वे सना की जेल में हैं, जहां हूती विद्रोहियों का नियंत्रण है. भारत सरकार इस सजा को रोकने के लिए हरसंभव प्रयास कर रही है.

यमन में मौत की सजा देने का तरीका दुनिया के बाकी देशों से काफी अलग और भयावह माना जाता है. वहां दोषी को फर्श पर या किसी गलीचे या कंबल पर उल्टा लिटाया जाता है. इसके बाद जल्लाद राइफल लेकर उसकी पीठ पर कई राउंड गोली चलाता है, जिनमें से एक गोली सीधे दिल पर मारने की कोशिश होती है ताकि तुंरत मौत हो जाए. इससे पहले एक डॉक्टर दोषी के शरीर पर दिल की सटीक स्थिति तय कर देता है. पहले यमन में फांसी या सिर कलम करने की प्रथा थी, लेकिन अब सिर्फ गोली मारना ही एकमात्र तरीका रह गया है. इस सजा को लेकर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी चिंता जताई जाती रही है.

भारत सरकार सजा रोकने की कर रही कोशिश

भारत सरकार निमिषा प्रिया को बचाने के लिए हरसंभव प्रयास कर रही है. विदेश मंत्रालय लगातार इस मुद्दे पर नजर बनाए हुए है. एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि भारत 16 जुलाई को प्रस्तावित मौत की सजा को रोकने की कोशिश कर रहा है. हालांकि दिक्कत यह है कि भारत का हूती विद्रोहियों से कोई आधिकारिक संपर्क नहीं है, जिनका यमन के उस हिस्से पर नियंत्रण है जहां निमिषा कैद हैं. प्रिया की मां प्रेमकुमारी भी अपनी बेटी को बचाने के लिए पहले यमन जा चुकी हैं.

क्या 'ब्लड मनी' बन सकती है राहत का रास्ता?

भारत ने 'दियात' या 'ब्लड मनी' के विकल्प पर भी विचार किया है. यह एक ऐसी प्रक्रिया होती है, जिसमें दोषी व्यक्ति की ओर से पीड़ित परिवार को मुआवजा दिया जाता है, ताकि वह उसे क्षमा कर दे और सजा टाली जा सके. हालांकि इस रास्ते में भी कई बाधाएं सामने आई हैं. सबसे बड़ी चुनौती यह है कि मृतक के परिवार से संपर्क और समझौता स्थापित करना आसान नहीं है, खासकर जब भारत की वहां कोई राजनयिक उपस्थिति नहीं है. अब देखना है कि भारत सरकार अंतिम क्षणों में कोई समाधान निकाल पाती है या नहीं.