menu-icon
India Daily

'भारत एक ऐसा देश जिसे ठीक करने की जरूरत', टैरिफ विवाद के बीच ट्रंप के सहयोगी का विवादास्पद बयान

न्यूज नेशन को दिए साक्षात्कार में उन्होंने भारत, ब्राजील और स्विट्जरलैंड जैसे देशों को निशाना बनाते हुए कहा, “इन देशों को अमेरिका के प्रति सही प्रतिक्रिया देने की जरूरत है. इन्हें अपने बाजारें खोलने होंगे और ऐसी नीतियां छोड़नी होंगी जो अमेरिकी हितों को नुकसान पहुंचाती हैं.”

auth-image
Edited By: Sagar Bhardwaj
howard lutnick
Courtesy: X

Trump Tariffs News: अमेरिकी वाणिज्य मंत्री हावर्ड लुटनिक ने प्रमुख व्यापारिक साझेदारों पर अपनी आलोचना को और तीखा कर दिया है. न्यूज नेशन को दिए साक्षात्कार में उन्होंने भारत, ब्राजील और स्विट्जरलैंड जैसे देशों को निशाना बनाते हुए कहा, “इन देशों को अमेरिका के प्रति सही प्रतिक्रिया देने की जरूरत है. इन्हें अपने बाजारें खोलने होंगे और ऐसी नीतियां छोड़नी होंगी जो अमेरिकी हितों को नुकसान पहुंचाती हैं.” लुटनिक ने भारत को स्पष्ट रूप से 'ठीक करने' वाली देशों की सूची में शामिल किया, जो अमेरिका के 50 प्रतिशत टैरिफ लगाने के बाद उत्पन्न विवाद को नई ऊंचाई दे रहा है.

जल्द ही टेबल पर लौटेगा भारत

कुछ दिनों पहले ही लुटनिक ने ब्लूमबर्ग को दिए इंटरव्यू में भारत की व्यापारिक वार्ताओं में दिखाई गई 'हठधर्मिता' को 'धोखा' करार दिया था. उन्होंने भविष्यवाणी की कि नई दिल्ली एक-दो महीने में बातचीत की मेज पर लौट आएगी. लुटनिक ने कहा, “व्यापारिक हितों के दबाव में भारतीय कंपनियां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सरकार को अमेरिका से सौदा करने के लिए मजबूर करेंगी. दुनिया के सबसे बड़े ग्राहक से लड़ना अच्छा लग सकता है, लेकिन अंततः व्यवसाय ही कहेंगे कि इसे रोकें और सौदा करें.” यह बयान डोनाल्ड ट्रंप द्वारा लगाए गए टैरिफ का सीधा संदर्भ था, जिसमें भारतीय आयात पर 50 प्रतिशत शुल्क और रूसी तेल खरीद पर अतिरिक्त 25 प्रतिशत जुर्माना शामिल है.

रूसी तेल खरीद पर कड़ी नाराजगी

लुटनिक ने यूक्रेन संकट के बाद भारत द्वारा सस्ते रूसी कच्चे तेल की बढ़ती खरीद पर भी तीखा प्रहार किया. उन्होंने इसे 'स्पष्ट रूप से गलत' और 'हास्यास्पद' बताते हुए कहा कि भारत को तय करना होगा कि वह 'किसके पक्ष में' खड़ा होना चाहता है. “रूस को समर्थन देकर आप अमेरिकी हितों के खिलाफ जा रहे हैं,” उन्होंने चेतावनी दी. यह आलोचना भारत की ऊर्जा नीतियों को अमेरिकी प्रतिबंधों के अनुरूप न मानने पर केंद्रित है, जो दोनों देशों के बीच ऊर्जा सहयोग को प्रभावित कर रही है.

आर्थिक दबाव की रणनीति: ग्राहक हमेशा सही

लुटनिक ने मुद्दे को कठोर आर्थिक शब्दों में पेश किया, याद दिलाते हुए कि अमेरिका विश्व का सबसे बड़ा उपभोक्ता बाजार है. उन्होंने जोर देकर कहा, “हम दुनिया के उपभोक्ता हैं. 30 ट्रिलियन डॉलर की हमारी अर्थव्यवस्था ही विश्व की खपत का इंजन है. अंततः सभी को ग्राहक के पास लौटना पड़ता है, क्योंकि ग्राहक हमेशा सही होता है.” वाशिंगटन और नई दिल्ली के बीच व्यापारिक बाधाओं, ऊर्जा खरीद और टैरिफ पर बढ़ते तनाव के बीच ये टिप्पणियां दोनों देशों के संबंधों में नई जटिलता जोड़ रही हैं. विशेषज्ञों का मानना है कि यह अमेरिकी रणनीति का हिस्सा है जो भारत को बाजार खोलने के लिए मजबूर करेगी.