अमेरिका ने ईरान के कई परमाणु ठिकानों पर हमला किया. इस लेकर कई दावे किए जा रहे हैं. हाल ही में अमेरिका द्वारा ईरान के परमाणु सुविधाओं पर किए गए हमलों को लेकर एक नई खुफिया रिपोर्ट ने सनसनी मचा दी है. वॉशिंगटन पोस्ट की एक रिपोर्ट के अनुसार, वरिष्ठ ईरानी अधिकारियों के बीच इंटरसेप्ट की गई बातचीत से पता चलता है कि इन हमलों से ईरान के परमाणु कार्यक्रम को अपेक्षा से काफी कम नुकसान हुआ है.
रिपोर्ट के मुताबिक, इंटरसेप्ट किए गए संचार में ईरानी अधिकारी यह चर्चा करते सुने गए कि राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के निर्देश पर हुए हमले उतने विनाशकारी नहीं थे, जितना ईरान ने पहले अनुमान लगाया था. ये अधिकारी इस बात पर विचार-विमर्श कर रहे थे कि हमले इतने प्रभावी क्यों नहीं रहे. हालांकि, एक अनाम स्रोत ने समाचार एजेंसी रॉयटर्स को बताया कि इस इंटरसेप्ट की गई बातचीत की विश्वसनीयता पर गंभीर सवाल हैं. स्रोत ने कहा कि यह संभव है कि ईरानी अधिकारी सच नहीं बोल रहे हों.
अमेरिकी खुफिया अधिकारी का दावा
वॉशिंगटन पोस्ट ने एक वरिष्ठ अमेरिकी खुफिया अधिकारी के हवाले से बताया कि सिग्नल इंटेलीजेंस, यानी इंटरसेप्ट की गई बातचीत, पूरी तस्वीर को नहीं दर्शाती. खुफिया जानकारी का यह हिस्सा अक्सर संदर्भ से बाहर हो सकता है और इसे अन्य सूचनाओं के साथ मिलाकर ही पूर्ण विश्लेषण किया जाना चाहिए. इस बीच, ट्रम्प प्रशासन ने इस खुफिया जानकारी को महत्वहीन करार दिया और दावा किया कि हमले ने ईरान के परमाणु कार्यक्रम को गंभीर रूप से प्रभावित किया.
रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिकी खुफिया समुदाय के भीतर इस बात पर मतभेद हैं कि हमलों से कितना नुकसान हुआ. सीआईए निदेशक जॉन रैटक्लिफ ने पिछले हफ्ते एक गोपनीय ब्रीफिंग में सांसदों को बताया कि ईरान की कई महत्वपूर्ण परमाणु सुविधाएं, विशेष रूप से धातु रूपांतरण संयंत्र, पूरी तरह नष्ट हो गए हैं. उन्होंने दावा किया कि इस सुविधा को दोबारा बनाना ईरान के लिए कई सालों का काम होगा. हालांकि, इंटरसेप्ट की गई बातचीत इस दावे से मेल नहीं खाती.
ट्रम्प के दावे पर सवाल
यह विवाद तब और गहरा गया, जब ट्रम्प ने दावा किया कि हमलों ने ईरान के परमाणु कार्यक्रम को "पूरी तरह और स्थायी रूप से नष्ट" कर दिया. दूसरी ओर, खुफिया रिपोर्ट्स और विशेषज्ञों का कहना है कि हमले से ईरान का परमाणु कार्यक्रम कुछ महीनों के लिए ही प्रभावित हुआ है.