असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा ने बेबाकी से कहा कि आर्थिक मदद चुनाव का निर्णायक कारण नहीं बनती. उन्होंने स्पष्ट रूप से दावा किया कि राज्य का एक बड़ा हिस्सा, खासकर मुस्लिम समुदाय, कितनी भी सहायता मिलने के बावजूद उन्हें वोट नहीं देता.
आजतक के एक कार्यक्रम में बातचीत के दौरान उन्होंने राज्य में महिलाओं और छात्रों के लिए चलाई जा रही योजनाओं का उल्लेख किया और बताया कि उनका लक्ष्य समाज में आत्मनिर्भरता और शिक्षा को मजबूत करना है, न कि चुनावी लाभ पाना.
हिमंता बिस्वा सरमा ने कहा कि असम का वोटिंग पैटर्न पूरी तरह विचारधारा पर आधारित है. उन्होंने कहा कि अगर केवल सरकारी मदद से वोट मिलते, तो कई समुदाय उनके पक्ष में मतदान करते. उन्होंने उदाहरण दिया कि एक व्यक्ति ने निजी तौर पर उनका आभार जताया, पर कहा कि वोट फिर भी नहीं देंगे. सरमा का कहना था कि चुनाव केवल आर्थिक सहायता पर नहीं, बल्कि सोच और विचार पर टिके होते हैं.
मुख्यमंत्री ने कहा कि चाहें वे दस हजार दें या एक लाख, एक बड़ा वर्ग फिर भी उनके पक्ष में वोट नहीं करेगा. उन्होंने कहा कि यह मान लेना गलत है कि कोई योजना वोट सुनिश्चित कर देती है. उनके अनुसार, नीतीश कुमार की जीत सुशासन की वजह से हुई, न कि किसी एक योजना के कारण. इसलिए केवल आर्थिक फायदा वोट का आधार नहीं माना जा सकता.
सरमा ने बताया कि राज्य में सेल्फ हेल्प ग्रुप की महिलाओं के लिए कई चरणों में आर्थिक सहायता दी जाती है. पहले 10,000 रुपये, उसके बाद परफॉर्मेंस के आधार पर 25,000 और फिर 50,000 रुपये दिए जाते हैं. उन्होंने कहा कि इन समूहों की 95% से अधिक लोन रिकवरी दर उनके बेहतर प्रबंधन का प्रमाण है. इसी कारण बैंक भी उन्हें आसानी से लोन उपलब्ध कराते हैं.
सीएम ने बताया कि नौवीं से ऊपर के छात्रों को अब तक तीन लाख से ज्यादा साइकिलें दी जा चुकी हैं. उन्होंने कहा कि यह योजना 6-7 साल से चल रही है. बेहतर परिणाम लाने वाले छात्रों को स्कूटी भी दी जाती है. लड़कियों की पढ़ाई का खर्च सरकार पूरी तरह वहन करती है, जिसमें एडमिशन से लेकर मासिक भत्ता तक शामिल है, ताकि वे बिना रुकावट शिक्षा जारी रख सकें.
सरकार की योजनाएं केवल लाभ देने तक सीमित नहीं, बल्कि सामाजिक सुधार से भी जुड़ी हैं. सरमा ने कहा कि तीन से अधिक बच्चों वाली माताओं को इन योजनाओं में शामिल नहीं किया जाता, ताकि परिवार छोटे रखने की जागरूकता बढ़े. उनका मानना है कि छोटी परिवार संरचना से शिक्षा, स्वास्थ्य और अर्थव्यवस्था मजबूत होती है. इसलिए योजनाओं को समाज में व्यापक सुधार के लिए डिजाइन किया गया है, न कि सिर्फ चुनावी राजनीति के लिए.