अमेरिकी ट्रंप प्रशासन ने पाकिस्तान के लिए 686 मिलियन डॉलर के जिस बड़े हथियार पैकेज को मंजूरी दी है, उसने दक्षिण एशिया में नई रणनीतिक हलचल पैदा कर दी है.
यह सौदा एफ-16 लड़ाकू विमानों के लिए अत्याधुनिक तकनीक, लिंक-16 सिस्टम, उन्नत एवियोनिक्स और व्यापक लॉजिस्टिक सपोर्ट शामिल करता है. यह कदम ऐसी स्थिति में उठाया गया है जब कुछ ही हफ्ते पहले अमेरिका ने भारत के लिए भी 93 मिलियन डॉलर के हथियार पैकेज को मंजूरी दी थी, जिसमें जैवलिन मिसाइल और एक्सकैलिबर राउंड शामिल हैं.
अमेरिकी डिफेंस सिक्योरिटी कोऑपरेशन एजेंसी द्वारा कांग्रेस को भेजे गए पत्र के अनुसार, यह सौदा पाकिस्तान के एफ-16 बेड़े को आधुनिक बनाने और उसे 2040 तक सुरक्षित उड़ान क्षमता देने का लक्ष्य रखता है. यह पैकेज पाकिस्तान की सैन्य तैयारियों में निर्णायक सुधार लाएगा.
डील में लिंक-16 सिस्टम, एन्क्रिप्शन तकनीक, अपग्रेडेड एवियोनिक्स, ट्रेनिंग और फुल लॉजिस्टिक सपोर्ट शामिल है. लिंक-16 सिस्टम पाक वायुसेना को निगरानी, पहचान, एयर कंट्रोल और हथियारों की समन्वित तैनाती जैसी क्षमताएं प्रदान करेगा, जिससे वह अमेरिकी बलों के साथ बेहतर इंटरऑपेरिबिलिटी हासिल कर सकेगी.
कांग्रेस को भेजे पत्र में कहा गया कि यह निर्णय अमेरिका की विदेश नीति और राष्ट्रीय सुरक्षा हितों को मजबूत करेगा. सौदे का उद्देश्य पाकिस्तान को आतंकवाद-रोधी अभियानों में सक्षम बनाना और भविष्य की सैन्य चुनौतियों के लिए तैयार करना है. यह कदम वाशिंगटन और इस्लामाबाद के सामरिक तालमेल को भी गहरा करेगा.
यह मंजूरी ऐसे समय दी गई है जब दो हफ्ते पहले अमेरिका ने भारत के लिए 93 मिलियन डॉलर का पैकेज मंजूर किया था. इसमें 45.7 मिलियन डॉलर के जैवलिन मिसाइल सिस्टम और 216 एक्सकैलिबर टैक्टिकल राउंड शामिल हैं. अमेरिका ने इसे भारत की 'होमलैंड डिफेंस और क्षेत्रीय खतरों से निपटने की क्षमता' को मजबूत करने वाला कदम बताया था.
लगातार दो बड़े रक्षा सौदे- एक भारत के साथ और एक पाकिस्तान के साथ- इस क्षेत्र में संतुलन की नई परतें जोड़ते हैं. विशेषज्ञ मानते हैं कि इससे वाशिंगटन दक्षिण एशिया में अपने प्रभाव को संतुलित करने की कोशिश कर रहा है. हालांकि, पाकिस्तान को मिला एफ-16 अपग्रेड भारत में सुरक्षा चिंताओं को जन्म दे सकता है.