नई दिल्ली: हांगकांग के ताई पो क्षेत्र में वांग फुक कोर्ट नाम के पुराने आवासीय परिसर में लगी भीषण आग ने सबको स्तब्ध कर दिया है. इस हादसे में अब तक 128 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है और 200 से अधिक लोग अभी भी लापता हैं.
बचाव दल दिन-रात मलबे में फंसे लोगों को निकालने की कोशिश कर रहे हैं. यह दर्दनाक घटना देखते ही देखते पूरे हांगकांग को 100 साल से ज्यादा पुरानी एक भयावह याद दिला रही है.
वांग फुक कोर्ट में कई दो मंजिला पुरानी इमारतें हैं. अचानक लगी आग ने कुछ ही पलों में आठ इमारतों को अपनी चपेट में ले लिया. लपटें और घना धुआं इतनी तेजी से फैले कि ऊपर के माले में सो रहे लोग बाहर भी नहीं निकल पाए.
दमकल की गाड़ियां मौके पर पहुंचीं लेकिन आग को काबू करने में काफी समय लग गया. अधिकारियों का कहना है कि ये इमारतें बहुत पुरानी थीं और उनमें आधुनिक अग्निशमन सिस्टम की कमी थी.
इस हादसे ने सबसे ज्यादा याद दिलाई 27 फरवरी 1918 की उस काली तारीख की, जब हैप्पी वैली रेसकोर्स में भयंकर आग लगी थी. उस दिन घुड़दौड़ देखने आए हजारों लोग मैदान में मौजूद थे.
अचानक एक स्टैंड में आग लगी और देखते ही देखते पूरा लकड़ी का विशाल ढांचा भरभरा कर गिर पड़ा. उस हादसे में 600 से ज्यादा लोगों की जान चली गई थी. उस समय यह एशिया की सबसे बड़ी आगजनित त्रासदी मानी गई थी. आज भी हांगकांग के लोग उस घटना को भूल नहीं पाए हैं.
1918 के बाद हांगकांग में सबसे बड़ा अग्निकांड 22 सितंबर 1948 को हुआ था. डेस वोइक्स रोड पर विंग ऑन कंपनी का गोदाम था. वहां जोरदार विस्फोट हुआ और उसके बाद आग ने पूरे इलाके को अपनी चपेट में ले लिया.
इस हादसे में 176 लोग मारे गए थे और दर्जनों घायल हुए थे. लंबे समय तक यह हांगकांग का सबसे भयानक औद्योगिक हादसा माना जाता रहा.
हांगकांग में बहुत सी पुरानी इमारतें आज भी हैं. इनमें आग से बचाव के नए उपकरण नहीं हैं. रात के समय लोग सो रहे होते हैं इसलिए धुएं से दम घुटने का खतरा ज्यादा रहता है. विशेषज्ञों का कहना है कि पुरानी इमारतों का नवीनीकरण और सख्त सुरक्षा नियम ही ऐसे हादसों को रोक सकते हैं.