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French regulator fines Google $270M: AI ट्रेनिंग ने Google की लगाई वॉट, 270 मिलियन चुकाने के बाद मिलेगी निजात

French regulator fines Google $270M: दिग्गज टेक कंपनी गूगल पर आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस का गलत तरीके से इस्तेमाल करने पर 270 मिलियन अमेरिकी डॉलर का जुर्माना लगा है.

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India Daily Live

French regulator fines Google $270M: फ्रांसीसी रेगुलेटर्स ने बुधवार को कहा कि उन्होंने गूगल पर 250 मिलियन यूरो (272 मिलियन अमेरिकी डॉलर) का जुर्माना लगाया है. यह जुर्माना मीडिया कंपनियों को उनकी सामग्री ऑनलाइन रिप्रड्यूस करने के एवज में भुगतान नहीं करने और अपने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस चैटबॉट को ट्रेन करने के लिए बिना बताए उनकी सामग्री का उपयोग करने के लिए लगाया गया है.

लंबे समय से चला आ रहा विवाद

यह जुर्माना फ्रांस और गूगल के बीच चल रहे विवाद का ताजा अध्याय है, जो मीडिया सामग्री के लिए मुआवजे के मुद्दे पर केंद्रित है. 2019 में, फ्रांसीसी समाचार एजेंसीज का प्रतिनिधित्व करने वाले संगठनों और एजेंस फ्रांस-प्रेस (एएफपी) ने फ्रांसीसी प्रतिस्पर्धा प्राधिकरण के पास शिकायत दर्ज कराई थी. 2022 में, प्राधिकरण ने इसी विवाद को लेकर गूगल पर 500 मिलियन यूरो का जुर्माना लगाया था. उस वक्त, गूगल ने फ्रांसीसी समाचार एजेंसीज के साथ निष्पक्ष रूप से बातचीत करने का कमिटमेंट किया था. 

जानें क्यों लगा है गूगल पर ताजा जुर्माना

हालांकि हालिया जांच में पाया गया कि गूगल 2022 में किए गए कमिटमेंट का सम्मान करने में नाकाम रहा. रेगुलेशन के अनुसार, गूगल ने समाचार एजेंसीज को उनकी सामग्री के उपयोग के लिए उचित मुआवजा देने के लिए ट्रांसपैरेंट प्रोसेस का पालन नहीं किया. साथ ही,  कॉपीराइट शिकायत मिलने के तीन महीने के भीतर समाचार समूहों को भुगतान की ट्रांसपैरेंट पेशकश करने में भी चूक की.

जांच में यह भी पता चला कि गूगल ने अपने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस टूल (जिसे पहले बार्ड कहा जाता था और अब जेमिनी के नाम से जाना जाता है) को ट्रेन करने के लिए समाचार एजेंसियों से सामग्री का इस्तेमाल किया था. लेकिन इस बारे में न तो समाचार एजेंसियों को और न ही फ्रांसीसी प्रतिस्पर्धा प्राधिकरण को सूचित किया गया. इसके साथ ही, गूगल ने पब्लिशर्स और समाचार एजेंसियों को उनकी सामग्री के इस्तेमाल पर आपत्ति जताने के लिए किसी तरह की टेक्निकल हेल्प भी मुहैया नहीं कराई.

आखिर क्या है गूगल का रुख?

गूगल ने जुर्माने को बेढंगा बताया है और कहा है कि यह उनकी ओर से किए गए प्रयासों को सही तरीके से नहीं मापा गया है. गूगल ने साफ किया कि फ्रेंच रेगुलेटर्स की ओर से जो भी सवाल उठाए गए हमने सभा का जवाब देने और उन्हें हल करने के लिए कदम उठाए हैं, लेकिन इस माहौल में यह तय करना मुश्किल है कि भविष्य में क्या रुख अपनाना चाहिए. समाधान के तौर पर गूगल ने फैक्ट्स को विवादित नहीं करने और अथॉरिटीज की ओर से पहचानी गई कमियों को दूर करने के लिए सुधार करने वाले कदमों की एक सीरीज जारी करने का प्रस्ताव दिया है. साथ ही, कंपनी ने आगे बढ़ने की इच्छा जताई है.

इस मामले का वैश्विक प्रभाव क्या है?

फ्रांस इस मामले में अकेला नहीं है. यूरोपीय संघ ने 2019 में "पड़ोसी अधिकार" नामक एक नया कॉपीराइट कानून बनाया है, जो प्रिंट मीडिया को उनकी सामग्री के ऑनलाइन इस्तेमाल के लिए मुआवजे की मांग करने का अधिकार देता है. फ्रांस इस कानून को लागू करने वाला पहला देश था और इसने गूगल और फेसबुक जैसे तकनीकी दिग्गजों को समाचार एजेंसीज के साथ लाइसेंसिंग सौदे करने के लिए मजबूर किया. 

अन्य यूरोपीय संघ देश भी गूगल के साथ इसी तरह के विवादों में उलझ गए हैं. स्पेन के प्रतिस्पर्धा रेगुलेशन ने पिछले साल गूगल पर समाचार एजेंसियों और प्रेस पब्लिशर्स को प्रभावित करने वाले कथित तौर पर प्रतिस्पर्धात्मक व्यवहारों के लिए जांच शुरू की थी.

2022 में, जर्मनी के अविश्वास-रोधी रेगुलेशन ने गूगल की न्यूज शोकेस सेवा की जांच को खत्म कर दिया था, क्योंकि तकनीकी दिग्गज ने प्रतिस्पर्धा संबंधी चिंताओं को कम करने के लिए "महत्वपूर्ण समायोजन" किए थे. यह मामला कॉपीराइट और प्रतियोगिता के मुद्दों पर यूरोपीय संघ और अमेरिकी तकनीकी कंपनियों के बीच चल रहे टकराव का एक हिस्सा है. फ्रांस का यह जुर्माना इस बात का संकेत हो सकता है कि यूरोपीय संघ मीडिया कंपनियों को उनके डिजिटल सामग्री के लिए उचित मुआवजा दिलाने के लिए और कड़े कदम उठा सकती हैं.