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Tariffs on India: 'सबसे बड़ी भूल', भारत पर 25 फीसदी टैरिफ लगाने पर ट्रंप पर भड़के US के पूर्व राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार, सुनाई खरी-खरी

अमेरिका के पूर्व राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जॉन बोल्टन ने राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की भारत के खिलाफ टैरिफ नीति की कड़ी आलोचना की है. उन्होंने कहा कि भारत पर लगाए गए भारी टैरिफ की वजह से वाशिंगटन को "सबसे खराब परिणाम" भुगतने पड़े हैं.

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Edited By: Garima Singh
Tariffs on India
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John Bolton: अमेरिका के पूर्व राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जॉन बोल्टन ने राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की भारत के खिलाफ टैरिफ नीति की कड़ी आलोचना की है. उन्होंने कहा कि भारत पर लगाए गए भारी टैरिफ की वजह से वाशिंगटन को "सबसे खराब परिणाम" भुगतने पड़े हैं, जिससे भारत और अमेरिका के बीच संबंध तनावपूर्ण हुए हैं. साथ ही, रूस और चीन से भारत को दूर करने के अमेरिका के दशकों पुराने प्रयासों को गंभीर झटका लगा है.

बोल्टन ने बताया कि ट्रम्प ने भारत पर 50 फीसदी से अधिक टैरिफ लागू किए, जिसमें 25 फीसदी सेकेंडरी टैरिफ भी शामिल है. ट्रम्प ने दावा किया था कि यह टैरिफ यूक्रेन में रूस के युद्ध को वित्तपोषित करने वाले रूसी तेल की खरीद को रोकने के लिए लगाया गया है. हालांकि, बोल्टन ने इसे एक "बड़ी गलती" करार देते हुए कहा कि इस नीति ने भारत को रूस और चीन के करीब धकेल दिया है. उन्होंने कहा, "चीन के प्रति ट्रम्प की नरमी और भारत पर भारी शुल्क लगाने से भारत को रूस और चीन से दूर लाने के अमेरिका के दशकों के प्रयास खतरे में पड़ गए हैं."

भारत-रूस संबंधों पर असर

सीएनएन को दिए इंटरव्यू में बोल्टन ने चेतावनी दी कि रूस को नुकसान पहुंचाने के उद्देश्य से लगाए गए सेकेंडरी टैरिफ ने उल्टा असर किया है. यह भारत को रूस और चीन के साथ गठजोड़ करने के लिए प्रेरित कर सकता है. उन्होंने कहा, "यह विडंबना है कि रूस को नुकसान पहुंचाने के उद्देश्य से लगाया गया सेकेंडरी टैरिफ भारत को रूस और चीन के करीब ला सकता है, और शायद उन्हें अमेरिका के खिलाफ एक साथ बातचीत करने के लिए प्रेरित कर सकता है."

ट्रम्प की चीन नीति पर सवाल

'द हिल' के लिए लिखे एक लेख में बोल्टन ने ट्रम्प की चीन के प्रति नरम नीति पर सवाल उठाए. उन्होंने कहा कि बीजिंग के प्रति ट्रम्प का रुख राष्ट्रपति शी जिनपिंग के साथ सौदे के लिए उत्साह में अमेरिकी रणनीतिक हितों का त्याग करने जैसा है. बोल्टन ने लिखा, "ऐसा लगता है कि व्हाइट हाउस टैरिफ दरों और अन्य मानकों के मामले में बीजिंग के साथ भारत की तुलना में ज़्यादा नरमी बारात रहा है. अगर ऐसा हुआ, तो यह एक बहुत बड़ी भूल होगी."