Earthquake In Russia: रूस के सुदूर पूर्वी हिस्से, कमचटका प्रायद्वीप में शनिवार को एक बार फिर जमीन कांप उठी. नेशनल सेंटर फॉर सिस्मोलॉजी के अनुसार, भूकंप की तीव्रता 7.0 मापी गई, जबकि अमेरिकी भूगर्भीय सर्वेक्षण (USGS) ने इसे और भी ज्यादा 7.4 बताया है. यह भूकंप जमीन के अंदर केवल 10 किलोमीटर की गहराई पर आया, जिससे झटके बेहद तेज महसूस किए गए.
USGS ने शुरुआत में भूकंप की तीव्रता 7.5 बताई थी, लेकिन बाद में इसे घटाकर 7.4 कर दिया गया. भूकंप का केंद्र रूस की पूर्वी तट रेखा के पास बताया गया है.
भूकंप के कुछ ही देर बाद प्रशांत सुनामी चेतावनी केंद्र (Pacific Tsunami Warning Center) ने बड़ा अलर्ट जारी कर दिया. उन्होंने चेतावनी दी कि भूकंप के केंद्र से 300 किलोमीटर के दायरे में समुद्री लहरें खतरनाक साबित हो सकती हैं. खासकर रूस के तटीय इलाकों में सुनामी के असर की आशंका जताई गई है.
यह ताजा भूकंप उस भयावह घटना के कुछ ही महीनों बाद आया है, जब जुलाई में कमचटका में रिकॉर्ड 8.8 तीव्रता का भूकंप आया था. वह जलजला दुनिया में पिछले 14 वर्षों में सबसे शक्तिशाली रहा था. यह भूकंप इतना ताकतवर था कि रूस ही नहीं, जापान, अमेरिका और अन्य प्रशांत द्वीपों तक में सुनामी अलर्ट जारी कर दिए गए थे.
जुलाई का भूकंप 2011 में जापान में आए 9.1 तीव्रता वाले विनाशकारी भूकंप के बाद का सबसे शक्तिशाली भूकंप माना गया, जिसमें हजारों लोगों की जान चली गई थी और सुनामी से भारी तबाही मची थी. ऐसे में रूस के कमचटका क्षेत्र में दो महीने के भीतर फिर से इस तरह का शक्तिशाली भूकंप आना, वैश्विक आपदा विशेषज्ञों के लिए चिंता का कारण बन गया है.
कमचटका प्रायद्वीप भूकंपीय गतिविधियों के लिए कुख्यात है. यह इलाका 'रिंग ऑफ फायर' में आता है, जहां धरती की प्लेटें टकराने के कारण अक्सर भूकंप और ज्वालामुखी विस्फोट होते रहते हैं. साल 1952 में भी इसी क्षेत्र में 9.0 तीव्रता का भूकंप आया था, जो सोवियत युग का सबसे बड़ा भूकंप था.
जुलाई के भूकंप के बाद अमेरिका के कई हिस्सों जैसे हवाई, अलास्का और कैलिफोर्निया को सीधी सुनामी चेतावनी दी गई थी. कई इलाकों में आपातकालीन प्रोटोकॉल सक्रिय कर दिए गए थे और समुद्र के पास बसे लोगों को सतर्क रहने और ऊंचाई वाले इलाकों में जाने की सलाह दी गई थी.
भूवैज्ञानिकों का मानना है कि इस क्षेत्र में भविष्य में और भी बड़े भूकंप आने की संभावना बनी हुई है. प्रशांत क्षेत्र के सभी देशों की आपदा एजेंसियां लगातार निगरानी कर रही हैं और किसी भी स्थिति से निपटने के लिए तैयार रहने को कहा गया है.