Turkish nuclear weapons: तुर्की और पाकिस्तान की दोस्ती किसी से छिपी नहीं है. दोनों देशों के बीच सैन्य, आर्थिक और रणनीतिक रिश्ते गहरे हैं. लेकिन हाल के वर्षों में एक सवाल ने वैश्विक चर्चा को जन्म दिया है: क्या तुर्की के पास परमाणु हथियार विकसित करने की क्षमता है? पाकिस्तान 1998 से परमाणु शक्ति संपन्न राष्ट्र है, लेकिन तुर्की की स्थिति क्या है? आइए इस विषय पर विस्तार से जानें.
वर्तमान में तुर्की के पास परमाणु हथियार नहीं हैं. क्योंकि तुर्की (NATO) का सदस्य देश है इसलिए तुर्की के इंसीरलिक एयर बेस पर अमेरिका के B-61 परमाणु बम तैनात हैं, जो पूरी तरह से अमेरिकी नियंत्रण में हैं. तुर्की बिना अमेरिकी अनुमति के इनका उपयोग नहीं कर सकता. इसके अलावा, तुर्की ने 1968 में परमाणु अप्रसार संधि (NPT) पर हस्ताक्षर किए हैं, जो उसे परमाणु हथियार विकसित करने से रोकती है. ऐसा करने पर तुर्की को अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंधों का सामना करना पड़ सकता है.
परमाणु तकनीक और बुनियादी ढांचा
तुर्की के पास अभी यूरेनियम खनन, संवर्धन (एनरिचमेंट) या परमाणु ईंधन पुन: प्रसंस्करण की सुविधाएं नहीं हैं, जो परमाणु हथियार बनाने के लिए आवश्यक हैं. हालांकि, तुर्की रूस की सहायता से अक्कुयू परमाणु ऊर्जा संयंत्र का निर्माण कर रहा है, जो 2025 में चालू होने की उम्मीद है. यह संयंत्र बिजली उत्पादन के लिए है, लेकिन कुछ विशेषज्ञों को आशंका है कि इससे परमाणु तकनीक का दुरुपयोग हो सकता है. फिर भी, तुर्की के पास बम बनाने के लिए जरूरी कच्चा माल और बुनियादी ढांचा अभी उपलब्ध नहीं है.
पाकिस्तान के साथ रणनीतिक साझेदारी
पाकिस्तान और तुर्की के बीच सैन्य और रणनीतिक सहयोग लंबे समय से मजबूत है. पाकिस्तान के वैज्ञानिक, जैसे ए.क्यू. खान, ने 2000 के दशक में परमाणु सामग्री की आपूर्ति में तुर्की की मदद की थी. हाल के वर्षों में दोनों देशों के बीच सैन्य सहयोग और हथियार सौदों ने अटकलों को हवा दी है कि पाकिस्तान तुर्की को परमाणु तकनीक साझा कर सकता है. हालांकि, इस दावे का कोई ठोस सबूत नहीं है.
राष्ट्रपति एर्दोगन की महत्वाकांक्षा
तुर्की के राष्ट्रपति रेचेप तईप एर्दोगन ने 2019 में एक बयान में कहा था, “यह अन्यायपूर्ण है कि कुछ देशों के पास परमाणु हथियार हैं, लेकिन तुर्की के पास नहीं.” यह बयान उनकी उस महत्वाकांक्षा को दर्शाता है, जिसमें तुर्की को एक नव-ऑटोमन शक्ति के रूप में स्थापित करना शामिल हो सकता है. खासकर जब पड़ोसी देश ईरान की परमाणु गतिविधियां बढ़ रही हैं, तो एर्दोगन की यह इच्छा और प्रासंगिक हो जाती है. लेकिन नाटो और अमेरिका का दबाव इसे जटिल बनाता है.
चुनौतियां और जोखिम
तुर्की के लिए परमाणु हथियार विकसित करना आसान नहीं है. पहली चुनौती नाटो से बाहर निकलना है, जिससे वह अमेरिकी परमाणु सुरक्षा छत्र से वंचित हो जाएगा. दूसरा, रूस से परमाणु ईंधन लेने पर उसे रूस को ईंधन लौटाना होगा, जो बम बनाने की संभावना को सीमित करता है. तीसरा, अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंधों का खतरा तुर्की को वैश्विक समुदाय से अलग-थलग कर सकता है. साथ ही अक्कुयू संयंत्र भूकंप संभावित क्षेत्र होने की बजह से सुरक्षा चिंताएं भी हैं.
क्या तुर्की परमाणु शक्ति बन सकता है?
विशेषज्ञों का मानना है कि तुर्की के पास अभी परमाणु हथियार बनाने की पूरी क्षमता नहीं है. अगर तुर्की पाकिस्तान से तकनीक हासिल करता है, तो 5-10 सालों में यह संभव हो सकता है, लेकिन इसके लिए उसे रूस और अमेरिका जैसे देशों के विरोध का सामना करना होगा. तुर्की की आर्थिक स्थिति और अंतरराष्ट्रीय दबाव इसे और जटिल बनाते हैं. सोशल मीडिया पर तुर्की-पाकिस्तान गठबंधन को लेकर कई कयास हैं, लेकिन ये केवल अटकलें हैं, कोई पुख्ता साक्ष्य नहीं.