अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने मंगलवार को कहा कि अमेरिका ने इंडोनेशिया के साथ एक व्यापार समझौता किया है, जिससे इस देश में अमेरिकी कंपनियों को "पूर्ण पहुंच" मिली है. उन्होंने संकेत दिया कि भारत के साथ भी "इसी तरह का" समझौता जल्द हो सकता है. यह बयान ऐसे समय में आया है, जब भारतीय वार्ताकार अमेरिका के साथ अंतरिम व्यापार समझौते के लिए चर्चा में जुटे हैं.
इंडोनेशिया के साथ समझौता
इंडोनेशियाई राष्ट्रपति के प्रवक्ता हसन नस्बी ने इसे अपने वार्ताकारों की "असाधारण मेहनत" का परिणाम बताया. समझौते के तहत इंडोनेशिया पर लगने वाले पारस्परिक शुल्क को 32% से घटाकर 19% कर दिया गया. ट्रंप ने कहा, "हमें इंडोनेशिया में पूर्ण पहुंच मिली है, सब कुछ. इंडोनेशिया तांबे के मामले में मजबूत है, लेकिन हमें हर चीज में पहुंच मिली है. हमें कोई शुल्क नहीं देना होगा. भारत भी इसी तरह की दिशा में काम कर रहा है." इंडोनेशिया ने अमेरिकी ऊर्जा में 15 अरब डॉलर, कृषि उत्पादों में 4.5 अरब डॉलर और 50 बोइंग जेट खरीदने की सहमति दी है.
भारत के साथ बातचीत
ट्रंप ने कहा, "हम भारत में पहुंच हासिल करने जा रहे हैं. पहले हमें इन देशों में कोई पहुंच नहीं थी." भारत के साथ चल रही बातचीत में कृषि एक प्रमुख विवाद बिंदु रहा है. नई दिल्ली स्थित थिंक टैंक जीटीआरआई ने सुझाव दिया कि भारत को इस समझौते में सावधानी बरतनी चाहिए. जीटीआरआई ने कहा, "ट्रंप की एकतरफा घोषणाएं, जैसे इंडोनेशिया के साथ ‘सौदा पक्का’ और भारत के ‘इसी तरह’ काम करने का दावा, अक्सर वास्तविक वार्ता से पहले होता है."
सावधानी की जरूरत
जीटीआरआई ने चेतावनी दी, "अमेरिका को इंडोनेशिया में शून्य शुल्क पर पहुंच मिली, जबकि इंडोनेशियाई निर्यात पर 19% शुल्क लगेगा. भारत यदि ऐसा असंतुलित समझौता स्वीकार करता है, तो डेयरी और कृषि जैसे क्षेत्रों को नुकसान हो सकता है." भारत को पारदर्शी और संतुलित समझौते पर जोर देना चाहिए, ताकि दीर्घकालिक आर्थिक हित सुरक्षित रहें.