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'हम भी कभी जूझे थे स्मॉग से...', भारत को वायु प्रदूषण से निपटने के लिए चीन मदद को आया आगे

दिल्ली में बढ़ते प्रदूषण पर चीन ने भारत को सहयोग की पेशकश की है. चीन ने बताया कि उसने भी कभी गंभीर प्रदूषण झेला था, लेकिन सख्त कदमों से वायु गुणवत्ता में सुधार किया. अब वह अपने अनुभव भारत के साथ साझा करना चाहता है ताकि दिल्ली को भी स्वच्छ हवा मिल सके.

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Edited By: Km Jaya
Pollution crisis India daily
Courtesy: Pinterest

नई दिल्ली: दिल्ली और उसके आसपास बढ़ते प्रदूषण संकट के बीच चीन ने भारत को सहयोग की पेशकश की है. चीन, जिसने खुद कभी गंभीर धुंध और प्रदूषण की समस्या झेली थी, अब अपनी सफलता की कहानी भारत के साथ साझा करने के लिए तैयार है. चीन के दूतावास ने एक्स पर पोस्ट कर कहा कि चीन कभी घने प्रदूषण से जूझ चुका है, लेकिन अब उसने 'नीले आसमान' हासिल कर लिए हैं और भारत भी जल्द ऐसा कर सकेगा.

चीन के दूतावास की प्रवक्ता यू जिंग ने लिखा, 'चीन ने भी कभी भारी स्मॉग झेला था. हम अपनी यात्रा साझा करने को तैयार हैं और हमें विश्वास है कि भारत भी जल्द वहां पहुंच जाएगा.' उन्होंने यह भी बताया कि चीन ने बीजिंग और शंघाई जैसे शहरों में वायु गुणवत्ता सुधारने के लिए कई सख्त कदम उठाए थे. इनमें भारी उद्योगों को शहरों से बाहर स्थानांतरित करना, वाहनों से निकलने वाले धुएं पर नियंत्रण लगाना और स्वच्छ ऊर्जा के उपयोग को बढ़ाना शामिल था.

दिल्ली में कितना है AQI?

चीन की यह पेशकश ऐसे समय आई है जब दिल्ली में प्रदूषण स्तर लगातार चिंता का कारण बना हुआ है. केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) के अनुसार, बुधवार सुबह दिल्ली का औसत एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) 228 दर्ज किया गया, जबकि 4 नवंबर को यह 291 था. हालांकि इसमें हल्की सुधार दर्ज हुई है, लेकिन प्रदूषण अब भी 'खराब' श्रेणी में बना हुआ है.

जानें किन इलाकों में खराब श्रेणी में है AQI?

दिल्ली के आनंद विहार का AQI 279, लोधी रोड का 213 और आईटीओ का 274 रहा. आरके पुरम (223), जहांगीरपुरी (235), चांदनी चौक (228) और सिरीफोर्ट (263) जैसे इलाकों में भी वायु गुणवत्ता खराब श्रेणी में रही.

चीन ने प्रदूषण से कैसे पाया निजात?

चीन ने 2013 में 'प्रदूषण के खिलाफ युद्ध' की घोषणा की थी और इसके लिए करीब 100 अरब डॉलर का अभियान चलाया. इस दौरान फैक्ट्रियों पर सख्त नियंत्रण लगाया गया, पुराने वाहनों को सड़कों से हटाया गया और कोयले की जगह प्राकृतिक गैस को बढ़ावा दिया गया. रिपोर्ट के मुताबिक, बीजिंग में अब हर साल 100 से अधिक अतिरिक्त साफ आसमान वाले दिन देखने को मिलते हैं.

पर्यावरण सुधार के लिए और क्या किया?

इसके साथ ही चीन ने पर्यावरण सुधार के लिए बड़े पैमाने पर वृक्षारोपण भी किया. 'ग्रेट ग्रीन वॉल' योजना के तहत देश के 12 प्रांतों में 35 अरब से अधिक पेड़ लगाए गए. Earth.org के अनुसार, चीन का वन क्षेत्र पर प्रति हेक्टेयर खर्च अब अमेरिका और यूरोप से भी अधिक है और यह वैश्विक औसत से तीन गुना तक पहुंच गया है.

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