नई दिल्ली: जोहरान ममदानी का जन्म युगांडा के कंपाला में 18 अक्टूबर 1991 को हुआ था. वे प्रसिद्ध विद्वान महमूद ममदानी और भारतीय फिल्मकार मीरा नायर के बेटे हैं. उनका बचपन युगांडा, दक्षिण अफ्रीका और फिर न्यूयॉर्क में बीता. उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा बैंक स्ट्रीट स्कूल फॉर चिल्ड्रन और ब्रॉन्क्स हाई स्कूल ऑफ साइंस से पूरी की.
इसके बाद 2014 में बोउडिन कॉलेज से अफ्रीकाना स्टडीज में स्नातक किया, जहां उन्होंने 'स्टूडेंट्स फॉर जस्टिस इन फिलिस्तीन' नामक संगठन की सह-स्थापना की. जोहरान ममदानी ने अपनी राजनीतिक पहचान सोशल मीडिया और जमीनी अभियानों के माध्यम से बनाई. वे डेमोक्रेटिक पार्टी के उभरते सितारे बन गए हैं. उनका प्रचार मुख्य रूप से जनता की जरूरतों पर केंद्रित रहा.
उन्होंने स्थिर किराए वाले घरों पर किराया फ्रीज, दो लाख पब्लिक हाउसिंग यूनिट्स का निर्माण, सार्वभौमिक चाइल्डकेयर, निशुल्क शिक्षा, फ्री बस सेवा और सरकारी ग्रॉसरी स्टोर की स्थापना जैसे वादे किए. उनके इन वादों ने जनता के बीच उन्हें लोकप्रिय बना दिया.
ममदानी ने न्यूनतम वेतन को 2030 तक 30 डॉलर प्रति घंटे करने का प्रस्ताव दिया है, जिसका खर्च अरबपतियों और बड़ी कंपनियों पर अतिरिक्त टैक्स लगाकर पूरा करने की योजना है. वे पुलिस बजट का एक हिस्सा सामुदायिक सेवाओं में लगाने और पब्लिक ट्रांसपोर्ट व साइकिल इंफ्रास्ट्रक्चर को मजबूत करने के भी पक्षधर हैं.
हालांकि, उनके विचारों ने राजनीतिक हलकों में मतभेद भी पैदा किया है. राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ममदानी को झूठा 'कम्युनिस्ट' बताते हुए आलोचना की और चेतावनी दी कि अगर वे जीते तो उन्हें गिरफ्तार या निर्वासित किया जा सकता है. फिर भी ममदानी ने अपनी जमीनी लोकप्रियता के दम पर चुनाव में ऐतिहासिक जीत हासिल की.
न्यूयॉर्क में यह चुनाव पिछले 50 वर्षों में सबसे ज्यादा वोटिंग वाला रहा, जहां 20 लाख से अधिक लोगों ने मतदान किया. ममदानी अब अपनी आने वाली प्रशासनिक टीम तैयार कर रहे हैं और अपने महत्वाकांक्षी एजेंडे को कैसे लागू करेंगे, इसकी रणनीति बना रहे हैं. उनका यह उत्थान डेमोक्रेटिक पार्टी के भीतर उस विचार को मजबूती देता है कि पार्टी को अब ज्यादा प्रगतिशील और वामपंथी उम्मीदवारों को अपनाना चाहिए, न कि केवल मध्यमार्गी नेताओं को.