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Bangladesh Politics: यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार में खटास, सहयोगियों के बीच क्यों गहरी हुई दरार?

Bangladesh Politics: वहीं, सरकार की पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन मामलों की सलाहकार सईदा रिजवाना हसन ने इन दावों को पूरी तरह खारिज कर दिया है. उन्होंने साफ कहा कि वह अपना शेष जीवन बांग्लादेश में ही बिताएंगी और बाहर निकलने की कोशिश नहीं कर रहीं.

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Edited By: Reepu Kumari
Bangladesh Politics
Courtesy: Pinterest

Bangladesh Politics: बांग्लादेश की अंतरिम सरकार में राजनीतिक अस्थिरता गहराती जा रही है. नोबेल पुरस्कार विजेता मुहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार को लेकर गंभीर मतभेद सामने आ रहे हैं. सरकार के वरिष्ठ सलाहकारों और छात्र-नेतृत्व वाली नेशनल सिटीजन पार्टी (एनसीपी) के बीच वफादारी को लेकर तकरार तेज हो गई है. यह विवाद ऐसे समय में सामने आया है जब देश पहले से ही राजनीतिक संक्रमण के दौर से गुजर रहा है.

एनसीपी नेताओं का आरोप है कि यूनुस सरकार के कई सलाहकार सार्वजनिक सेवा की बजाय अपनी निजी सुरक्षा को प्राथमिकता दे रहे हैं और राजनीतिक दलों से सुरक्षित निकास के लिए संपर्क साध रहे हैं. वहीं, सरकार की पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन मामलों की सलाहकार सईदा रिजवाना हसन ने इन दावों को पूरी तरह खारिज कर दिया है. उन्होंने साफ कहा कि वह अपना शेष जीवन बांग्लादेश में ही बिताएंगी और बाहर निकलने की कोशिश नहीं कर रहीं.

एनसीपी नेताओं ने वफादारी पर उठाए सवाल

एनसीपी संयोजक नाहिद इस्लाम ने आरोप लगाया कि यूनुस सरकार के कुछ सलाहकारों ने छात्र आंदोलन के भरोसे को तोड़ा है. उन्होंने कहा कि ये सलाहकार संकट की घड़ी में अलग-अलग दलों से संपर्क साधकर सुरक्षित निकासी के रास्ते खोज रहे हैं. हालांकि, इस्लाम ने किसी नाम का खुलासा नहीं किया, लेकिन इस बयान ने गठबंधन में दरार की अटकलों को हवा दे दी.

'सलाहकारों के लिए रास्ता मौत है'

एनसीपी के एक अन्य नेता सरजिस आलम ने बयान दिया कि 'सलाहकारों के लिए एकमात्र रास्ता मौत है.' इस तीखी प्रतिक्रिया ने विवाद को और गहरा कर दिया. हालांकि, सईदा रिजवाना हसन ने इसका विरोध करते हुए कहा कि वह पूरी तरह देश के प्रति समर्पित हैं और एनसीपी नेताओं को अपनी टिप्पणियों की स्पष्टता देनी चाहिए.

‘जुलाई विद्रोह’ और एनसीपी का उदय

एनसीपी की जड़ें पिछले साल हुए हिंसक जुलाई विद्रोह से जुड़ी हैं. इसी विद्रोह ने शेख हसीना की अवामी लीग सरकार को सत्ता से बाहर कर दिया. इसके बाद फरवरी 2025 में एनसीपी एक संगठित राजनीतिक ताकत के रूप में उभरी. यूनुस, जो विद्रोह के दौरान विदेश में थे, मुख्य सलाहकार बनकर लौटे और छात्र नेताओं को अपना नियुक्तकर्ता बताया.

छात्र नेताओं की भूमिका

यूनुस सरकार में तीन छात्र नेताओं को सलाहकार बनाया गया, जिनमें नाहिद इस्लाम भी शामिल थें. बाद में उन्होंने इस्तीफा देकर एनसीपी का नेतृत्व संभाला. बाकी दो छात्र प्रतिनिधि अब भी मंत्रिमंडल में बने हुए हैं. इससे स्पष्ट है कि छात्र राजनीति और यूनुस सरकार के बीच संबंध बेहद जटिल हो चुके हैं.

अवामी लीग पर कार्रवाई

मई 2025 में, एनसीपी के दबाव में आकर यूनुस सरकार ने अवामी लीग पर सख्त कार्रवाई की. पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना और उनकी पार्टी पर प्रतिबंध लगाया गया और कई नेताओं को गिरफ्तार किया गया. हजारों कार्यकर्ता भूमिगत हो गए. एनसीपी ने ऐलान किया कि वे राष्ट्रीय राजनीति से अवामी लीग को पूरी तरह अप्रासंगिक बना देंगे.

शेख हसीना पर मुकदमा

इस बीच, बांग्लादेश के एक विशेष न्यायाधिकरण ने बड़ा फैसला सुनाते हुए पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना और 29 अन्य लोगों को मानवता के विरुद्ध अपराधों के आरोप में गिरफ्तार करने का आदेश दिया है. ये आरोप हसीना सरकार के दौरान कथित जबरन गायब करने की घटनाओं से जुड़े हैं.