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बलूच, अफगानी... आतंकियों की नाराजगी की भी कहानी; इन चुनौतियों से कैसे निपटेगी पाक की 'नई सेना' अज्म-ए-इश्तेकाम?

Pakistan New Army Azm-e-Ishtekam: पाकिस्तान पिछले कुछ सालों से आतंकवाद और उग्रवाद से जूझ रहा है. इससे निपटने के लिए प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ के नेतृत्व में देशभर में ऑपरेशन 'अज्म-ए-इश्तेकाम' शुरू करने को मंजूरी दी गई है. कहा गया है कि आतंकवाद और उग्रवाद के खिलाफ युद्ध पाकिस्तान का अपना युद्ध है, जो हमारे अस्तित्व और समृद्धि के लिए महत्वपूर्ण है.

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Edited By: India Daily Live
Pakistan New Army Azm-e-Ishtekam
Courtesy: Social Media

Pakistan New Army Azm-e-Ishtekam: पाकिस्तान सरकार ने देश में बढ़ती हिंसा की घटनाओं पर लगाम लगाने और उन्हें पूरी तरह से रोकने के लिए एक सैन्य अभियान शुरू किया है. इस अभियान को 'अज्म-ए-इश्तेकाम' नाम दिया गया है. हिंदी में इसका मतलब 'स्थिरता के लिए संकल्प' है. प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने वीकेंड में देश में चल रही 'आतंकवाद विरोधी' अभियानों की समीक्षा की. इसके बाद इस अभियान की घोषणा की. पाकिस्तान में आतंक विरोध अभियानों की शुरुआत उस वक्त हुई थी, जब दिसंबर 2014 में पेशावर के आर्मी पब्लिक स्कूल पर हमला हुआ था, जिसमें 140 से अधिक लोग मारे गए थे. मृतकों में अधिकतर छात्र थे. हमले की जिम्मेदारी पाकिस्तान तालिबान ने ली थी, जिसे टीटीपी के नाम से जाना जाता है.

पाकिस्तान सरकार की ओर से शुरू किए गए नए अभियान के तहत अंदरूनी खतरों और अफगानिस्तान से आने वाले सशस्त्र लड़ाकों पर फोकस की उम्मीद जताई जा रही है. इस्लामाबाद और काबुल में हिंसा की बढ़ती खबरों के बीच 22 जून को पाकिस्तानी PMO की ओर से जारी एक बयान में पड़ोसी देशों के साथ सहयोग के माध्यम से आतंकवादियों पर अंकुश लगाने के प्रयासों को तेज करने की योजनाओं का जिक्र किया गया था. बयान में कहा गया था कि अभियान का उद्देश्य जनता की वाजिब चिंताओं को दूर करना और चरमपंथी ताकतों के खिलाफ माहौल बनाना होगा.

नए अभियान ने पुरानी योजनाओं पर खड़े किए सवाल

पाकिस्तानी सरकार की ओर से शुरू किया गया अभियान, पहले से चल रही योजनाओं और उनकी सफलता को लेकर सवाल खड़े कर रहा है. सवाल ये कि आखिर पाकिस्तान में मौजूद चरमपंथी ताकतों और अन्य चुनौतियों से पार पाने में ये कितना सफल होगा? इससे पहले पाकिस्तान ने प्रधानमंत्री के रूप में शरीफ के पिछले कार्यकाल के दौरान अप्रैल 2023 में एक सैन्य अभियान की घोषणा भी की थी , लेकिन आधिकारिक सैन्य अभियान कभी शुरू नहीं हुआ.

ऑपरेशन 'अज्म-ए-इश्तेकाम' की लॉन्चिंग डेट की भी औपचारिक घोषणा नहीं की गई है, लेकिन अभियान का जिक्र ऐसे वक्त में किया गया है, जब देश में पिछले 18 महीनों में हिंसक घटनाओं में अचानक बढ़ोतरी देखी गई है. इनमें से ज़्यादातर हमलों की ज़िम्मेदारी टीटीपी ने ली है, जो विचारों से अफ़गानिस्तान के तालिबान के साथ जुड़ा हुआ है.

पाकिस्तान ने भी काबुल पर बार-बार टीटीपी के चरमपंथियों को शरण देने का आरोप लगाया है. हालांकि, अगस्त 2021 में सत्ता में आई तालिबान सरकार ने लगातार इसे खारिज किया है. अब, अगर पाकिस्तान का सैन्य अभियान अफगानिस्तान तक फैल जाता है, तो पहले से ही तनावपूर्ण संबंधों में दरार और बढ़ सकती है. कुछ ऐसी भविष्यवाणी स्पेशलिस्ट्स की ओर से हाल में हुई घटनाओं के बाद की गई है.

नए अभियान को लेकर सिक्योरिटी स्पेशलिस्ट्स क्या बोले?

इस्लामाबाद में रहने वाले सिक्योरिटी स्पेशलिस्ट इहसानुल्लाह टीपू ने अल जजीरा को दिए एक इंटरव्यू में बताया कि मार्च में पाकिस्तान ने अफगानिस्तान में संदिग्ध पाकिस्तानी तालिबान ठिकानों पर सीमा पार हमले भी किए थे, जिसकी विदेश कार्यालय की ओर से सार्वजनिक रूप से पुष्टि की गई थी. टीपू, सुरक्षा मुद्दों का विश्लेषण करने वाले न्यूज और रिसर्च पोर्टल 'द खोरासन डायरी' के डायरेक्टर भी हैं. 

पाकिस्तान में हिंसा की घटनाओं के आंकड़ों की बात की जाए तो 2023 में हिंसा की लगभग 700 घटनाओं में लगभग 1000 लोग हताहत हुए, जिनमें से अधिकांश हमले उत्तर-पश्चिमी प्रांत खैबर पख्तूनख्वा और दक्षिण-पश्चिमी प्रांत बलूचिस्तान में हुए. 

2024 में भी हिंसक हमले जारी रहे हैं, जिनमें उत्तरी और दक्षिणी दोनों क्षेत्रों में चीनी प्रतिष्ठानों और कर्मियों को निशाना बनाने वाली घटनाएं शामिल हैं. मार्च में चीनी इंजीनियरों के काफिले पर हुए हमले में कम से कम 5 चीनी नागरिकों और एक पाकिस्तानी की मौत हो गई थी.

क्या नया ऑपरेशन काम करेगा?

पाकिस्तान और अफगानिस्तान में सशस्त्र समूहों पर रिसर्च करने वाले स्वीडन के रिसर्चर अब्दुल सईद को इस ऑपरेशन की सफलता की संभावना पर संदेह है. सईद ने कहा कि सशस्त्र समूह अब मुख्य रूप से सुरक्षा बलों को निशाना बनाते हैं ताकि सरकारी हितों को कमजोर किया जा सके और जनता का समर्थन खत्म होने से बचाया जा सके. उन्होंने अल जजीरा से कहा कि सशस्त्र हिंसा से सबसे ज्यादा प्रभावित प्रांतों में सुरक्षा बलों के लिए जनता का समर्थन न होना ऑपरेशन की प्रभावशीलता में खलल बन सकता है.

सिक्योरिटी स्पेशलिस्ट इहसानुल्लाह टीपू ने एक और चुनौती की ओर इशारा किया जिसका सामना सुरक्षा बलों को करना पड़ सकता है. कहा गया कि पाकिस्तान में टीटीपी के ठिकानों की अस्थायी प्रकृति और अफगानिस्तान के साथ तनाव बढ़ने की संभावना है. उन्होंने कहा कि पाकिस्तानी तालिबान के पास पाकिस्तान में कोई स्थायी ठिकाना नहीं है, बल्कि वे अस्थायी ठिकानों से काम करते हैं और अक्सर अपना ठिकाना बदलते रहते हैं. अगर पाकिस्तान अफ़गानिस्तान में सीमा पार अभियान चलाता है, तो इससे दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ सकता है.