China New Map Rejection: चीन की कम्युनिस्ट पार्टी की सरकार ने हाल में एक नया नक्शा जारी किया था. चीन (China) का ये नया नक्शा अब उसी के गले की फांस बनता जा रहा है. भारत (India) के कड़े विरोध के बाद अब अन्य देश भी ड्रैगन के खिलाफ आवाज उठाने लगे हैं. फिलीपींस, वियतनाम, मलेशिया और ताइवान ने भी चीन के विवादित मैप का विरोध किया है. उन्होंने साउथ चाइना सी में चीन के दावे को खारिज कर दिया है. फिलीपींस की तरफ से कहा गया है कि चीन को जिम्मेदारी से फैसले लेते हुए अंतरराष्ट्रीय कानूनों का पालन करना चाहिए. वहीं मलेशिया की तरफ से नक्शे को लेकर डिप्लोमैटिक प्रोटेस्ट दर्ज कराया गया है.
नक्शे में ज्यदा एरिया को किया गया कवर
मैप में चीन ने हैनान द्वीप के साउथ में 1500 किमी तक एक 'यू' शेप की लाइन दिखाई है. ये लाइन वियतनाम, फिलीपींस, ब्रुनेई और इंडोनेशिया के एक्सक्लूजिव इकोनॉमिक जोन्स से होकर गुजरती है. चीन के इस नए मैप में ज्यादा जियोग्राफिकल एरिया को कवर किया गया है. इसमें एक 10 डैश वाली लाइन है, जिसके जरिए चीन ने ताइवान को अपने हिस्से में दिखाया है.
ताइवान ने दिया करारा जवाब
नए नक्शे को लेकर ताइवान के विदेश मंत्रालय की तरफ से कहा गया है कि हम चीन का हिस्सा नहीं है. उनकी सरकार चाहे कैसे भी अपना पक्ष पेश करती रहे, वो हमारे देश के अस्तित्व की सच्चाई को झुठला नहीं सकती. वहीं वियतनाम ने कहा कि चीन के इस नक्शे का कोई महत्व नहीं है और ये वियतनाम की सीमा और अंतरराष्ट्रीय कानून का उल्लंघन करता है.
अरुणाचल प्रदेश, अक्साई चिन पर ड्रैगन की आंख
बता दें कि 29 अगस्त को चीन ने एक नक्शा जारी कर अरुणाचल प्रदेश और अक्साई चिन को अपना हिस्सा बताया था. इसके अलावा उसने ताइवान और साउथ चाइना सी को भी अपने क्षेत्र में दिखाया था. चीन के सरकारी न्यूज पेपर ने एक्स (पहले ट्विटर) पर नया मैप पोस्ट किया था. मैप पर चीन ने कहा था कि हमारे नक्शे का 2023 एडिशन जारी करना सामान्य प्रक्रिया है. ये मैप चीन की संप्रुभता और अखंडता को ध्यान में रखते हुए जारी किया गया है. उम्मीद है कि संबंधित पक्ष इसे समझेंगे और समझदारी के साथ इस पर अपना स्टैंड लेंगे.
'चीन की पुरानी आदत'
चीन के नए मैप पर भारत के विदेश मंत्री जयशंकर ने कहा था कि चीन की पुरानी आदत है. उनके दावों से कुछ नहीं होता. विदेश मंत्री जयशंकर ने कहा था कि चीन ने नक्शे में जिन इलाकों को अपना बताया है, वो उनके नहीं हैं. ऐसा करना चीन की पुरानी आदत है. अक्साई चिन और लद्दाख भारत का अभिन्न हिस्सा है. पहले भी चीन भारत के हिस्सों के लेकर नक्शे निकालता रहा है, उसके दावों से कुछ नहीं होता. हमारी सरकार का रुख साफ है. बेकार के दावों से ऐसा नहीं हो जाता कि किसी और के इलाके आपके हो जाएंगे.
यह भी पढ़ें: 'वन नेशन-वन इलेक्शन' पर मोदी सरकार का बड़ा कदम, पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में बनाई कमेटी