कुछ साल पहले अबू धाबी में आयोजित एक अंतरराष्ट्रीय हथियार प्रदर्शनी में एक अनोखी घटना घटी. ब्रह्मोस एयरोस्पेस के संस्थापक और पूर्व सीईओ डॉ. ए. शिवथानु पिल्लई ने सीएनएन-न्यूज 18 को दिए एक इंटरव्यू में खुलासा किया कि एक पाकिस्तानी जनरल ने उनसे सवाल किया था, क्या भारत पाकिस्तान को अपनी ब्रह्मोस मिसाइल बेचेगा? इस सवाल के जवाब में डॉ. पिल्लई ने मजाकिया अंदाज में कहा, पाकिस्तान के लिए यह मुफ्त में होगी.
यह घटना अबू धाबी में आयोजित रक्षा प्रदर्शनी के दौरान हुई थी, जहां भारत ने अपनी स्वदेशी तकनीक और रक्षा क्षमताओं का प्रदर्शन किया था. डॉ. पिल्लई ने बताया कि भारत ने ऑपरेशन सिंदूर के तहत पाकिस्तानी एयरबेस पर ब्रह्मोस मिसाइलों का सफलतापूर्वक उपयोग किया था, जिसने इस मिसाइल की अचूकता और विनाशकारी क्षमता को दुनिया के सामने साबित किया. यह वही मिसाइल है, जिसे भारत ने रूस के सहयोग से विकसित किया है और जो सुपरसोनिक गति के साथ रडार की पकड़ से बचने में सक्षम है.
ब्रह्मोस मिसाइल न केवल एक सैन्य उपकरण है, बल्कि भारत की रक्षा आत्मनिर्भरता का एक चमकता सितारा भी है. पूर्व राष्ट्रपति डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम के सपने को साकार करते हुए, डॉ. पिल्लई और उनकी टीम ने रूस के साथ मिलकर इस मिसाइल को विकसित किया, जो आज विश्व के सबसे उन्नत हथियारों में शुमार है. इसकी सुपरसोनिक गति, सटीकता और रडार से बचने की क्षमता इसे युद्धक्षेत्र में एक गेम-चेंजर बनाती है.
पाकिस्तानी जनरल का यह सवाल कि क्या भारत ब्रह्मोस बेचेगा, इस मिसाइल की असाधारण गुणवत्ता और विश्वसनीयता का सबसे बड़ा प्रमाण है. एक प्रतिद्वंद्वी देश का सैन्य अधिकारी जब किसी रक्षा प्रदर्शनी में निर्माता से सीधे मिसाइल खरीदने की इच्छा जताता है, तो यह न केवल उत्पाद की तकनीकी श्रेष्ठता को दर्शाता है, बल्कि यह भी दिखाता है कि ब्रह्मोस ने वैश्विक स्तर पर अपनी एक अलग पहचान बनाई है.