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पुतिन-मोदी मुलाकात में बड़ा हथियार सौदा तय? एजेंडे में Su-57 लड़ाकू जेट और S-400 सिस्टम

रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की आगामी मुलाकात में सुखोई Su-57 फाइटर जेट और S-400 एयर डिफेंस सिस्टम जैसे बड़े रक्षा सौदे चर्चा का प्रमुख हिस्सा होंगे. रूस भारत को नई तकनीक ट्रांसफर करने पर भी सहमत है.

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Edited By: Kuldeep Sharma
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Courtesy: social media

नई दिल्ली: इस सप्ताह नई दिल्ली में होने वाली भारत–रूस बैठक वैश्विक स्तर पर सुर्खियों में है, क्योंकि राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बीच होने वाली वार्ता में कई अहम रक्षा सौदे शामिल होंगे. 

रूस ने संकेत दिया है कि उन्नत सुखोई Su-57 फाइटर जेट और अतिरिक्त S-400 एयर डिफेंस सिस्टम पर गहन चर्चा की जाएगी. दोनों देशों के बीच सैन्य सहयोग को और मजबूत करने के लिए रूस भारत को अत्याधुनिक तकनीक साझा करने और संयुक्त उत्पादन बढ़ाने की तैयारी में है.

सुखोई Su-57 पर फिर से तेज हुई चर्चा

रूस के क्रेमलिन प्रवक्ता दिमित्री पेस्कोव ने स्पष्ट किया कि Su-57 फिफ्थ-जनरेशन लड़ाकू विमान भारत–रूस वार्ता का महत्वपूर्ण हिस्सा होगा. उन्होंने इसे दुनिया का 'सबसे बेहतरीन लड़ाकू विमान' बताया. पेस्कोव ने कहा कि यह मुद्दा पुतिन की भारत यात्रा के दौरान चर्चा में रहेगा, लेकिन प्रतिस्पर्धियों के कारण ज्यादा विवरण साझा नहीं किए जाएंगे. भारत लंबे समय से Su-57 जैसे अत्याधुनिक स्टील्थ जेट में दिलचस्पी दिखाता आया है.

S-400 के अतिरिक्त सिस्टमों पर भी नजर

भारत ने पहले ही रूस से पांच S-400 एयर डिफेंस सिस्टम खरीदने का समझौता किया है, जिनमें से कई की आपूर्ति हो चुकी है. पुतिन–मोदी मुलाकात के दौरान अतिरिक्त सिस्टमों, अपग्रेड पैकेज और लॉजिस्टिक सपोर्ट पर चर्चा होने की संभावना है. भारत की रक्षा तैयारी में S-400 की भूमिका बेहद अहम मानी जाती है, इसलिए यह सौदा दोनों देशों की रणनीतिक साझेदारी को और मजबूत कर सकता है.

भारत को तकनीक ट्रांसफर पर रूस का भरोसा

क्रेमलिन प्रवक्ता ने कहा कि रूस भारत को वह हर तकनीक साझा करने को तैयार है, जिसे साझा किया जा सकता है. उनके अनुसार, कई रक्षा उपकरणों का 'संयुक्त उत्पादन' जल्द शुरू किया जाएगा. यह संकेत भारत के ‘मेक इन इंडिया’ और रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता के लक्ष्यों के अनुरूप है. इससे भारत को न केवल उन्नत सैन्य तकनीक मिलेगी, बल्कि भविष्य के प्रोजेक्ट्स में भी बड़ी बढ़त हासिल होगी.

संयुक्त उत्पादन से बढ़ेगी रणनीतिक साझेदारी

भारत और रूस पहले ही ब्रह्मोस मिसाइल जैसे सफल संयुक्त प्रोजेक्ट कर चुके हैं. दोनों देश अब फाइटर जेट, हेलीकॉप्टर और अन्य रक्षा प्रणालियों के निर्माण में भी सहयोग बढ़ाने की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं. संयुक्त उत्पादन भारत को लागत के साथ-साथ समय की भी बड़ी बचत देगा. रूस भी एशियाई बाजार में भारत की बढ़ती क्षमता का लाभ उठा सकेगा.

भारत–रूस रिश्तों की मजबूती का बड़ा संकेत

पुतिन की यह यात्रा ऐसे समय हो रही है जब वैश्विक भू-राजनीति तेजी से बदल रही है. भारत और रूस दशकों से रक्षा साझेदार रहे हैं और यह बैठक उस भरोसे को और गहरा करने का संकेत देती है. Su-57 और S-400 जैसे सौदों पर आगे बढ़ने से दोनों देशों के रणनीतिक, तकनीकी और आर्थिक संबंधों को नई दिशा मिलेगी.