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डिप्टी CM नहीं सीधे CM बन जाएंगे उदयनिधि स्टालिन? DMK की मीटिंग से पहले अटकलों ने मचाई खलबली

उदयनिधि स्टालिन का तमिलनाडु में अभी कोई प्रतिद्वंद्वी पार्टी के भीतर नहीं है. उनके पास समर्थकों का हुजूम है, पार्टी के नेता भी उनके साथ हैं. जनवरी से ही उनके प्रमोशन की बात चल रही है. उदयनिधि स्टालिन ही अब एमके स्टालिन की विरासत संभालेंगे. राजनीति के जानकार कहते हैं कि एमके स्टालिन उम्र संबंधी दिक्कतों से जूझ रहे हैं, यही समय है कि वे अपने सक्रिय काल में बेटे को स्थापित कर ले जाएं.

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Udhayanidhi Stalin and MK Stalin
Courtesy: Social Media

तमिलनाडु की सत्तारूढ़ पार्टी द्रविण मुनेत्र कड़गम (DMK) के बारे में कहा जाता है कि इस पार्टी का भविष्य मुख्यमंत्री एमके स्टालिन नहीं हैं, उदयनिधि हैं. साल 2021 में ही त्रिची की जनता ने यह मान लिया था कि एमके स्टालिन की जगह, उदयनिधि स्टालिन को मुख्यमंत्री बनना चाहिए. यह वो वक्त था, जब उदयनिधि महज 2 साल पहले सिनेमा छोड़कर राजनीति में उतरे थे और सड़कों पर उनके लिए हुजूम चल रहा था. युवा उनके समर्थक थे. अब हालात एक बार फिर वैसे ही बन रहे हैं. 

राजनीतिक गलियारों में ऐसी चर्चा है कि उदयनिधि स्टालिन को मुख्यमंत्री बनाया जा सकता है, अब एमके स्टालिन के विदाई की तारीख नजदीक आ गई है. एमके स्टालिन के बारे में कहा जाता है कि वे अपने पिता एम करुणानिधि की तरह 5 बार के मुख्यमंत्री बनेंगे लेकिन अब उनकी विदाई के संकेत मिल रहे हैं. 

तमिलनाडु की राजनीति में पिता जैसा दबदबा 

महज 46 साल के उदयनिधि स्टालिन का जिस तरह क्रेज देखने को मिल रहा है, वे अपने पिता की जगह संभाल सकते हैं. उनके पास स्टालिन सरकार में खेल और विशेष कार्य मंत्रालय है. अगस्त में ही उन्होंने एक बयान दिया था कि उन्हें भी पता है कि कुछ लोग मुझे डिप्टी सीएम देखना चाहते हैं लेकिन अभी इसका समय नहीं आया है. 

कैसे बढ़ता गया उदयनिधि का कद?

उदयनिधि के डीएमके में बढ़ते कद की शुरुआत साल 2019 से हुई. उन्हें अचानक डीएमके का यूथ विंग अध्यक्ष बना दिया गया. 2021 आते-आते वे विधायक बन गए और 2022 में कैबिनेट में अहम पद पर बैठ गए. उदयनिधि के तेवर बेहद आक्रामक हैं, वे उत्साही हैं और उनके नाम पर जनसमर्थन उमड़ पड़ता है. उन्होंने सनातन धर्म के खिलाफ जमकर बोला है. वे सुर्खियों में रहे. दक्षिण की राजनीति में बिना सनातन पर हमलावर हुए, इतनी सफलता मिलती भी नहीं है. 

पार्टी-परिवार में कई नेता, सबको पीछे छोड़ गए उदयनिधि

उदयनिधि स्टालिन को हाल के दिनों में तेजी से लोकप्रियता मिली है. उनके पिता एमके स्टालिन सनातन वाले बयान पर भी अपने बेटे का बचाव कर ले गए. पार्टी में एक से बढ़कर एक दिग्गजों की मौजूदगी के बाद भी वे सबको दरकिनार करते गए और उन्हें दूसरी सबसे बड़ी हैसियत पर स्थापित कर दिया. अब एक सवाल लोगों के मन में है कि क्या वे नंबर वन बनने वाले हैं. 

कहीं सेल्फ गोल न हो जाए ये पदोन्नति

एमके स्टालिन पहले भी ऐसा कर सकते थे लेकिन ऐसा उन्होंने नहीं किया. वजह ये थी कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और सत्तारूढ़ एनडीए, परिवारवाद को लेकर पहले ही विपक्ष पर हमलावर था. उन्हें एक और मौका मिल जाता. राज्य में विधानसभा चुनाव 2026 में होने वाले हैं और अभी 2 साल का वक्त है. लोग इसे भूल भी जाएंगे.

क्यों आई सत्ता परिवर्तन की नौबत?

हिंदुस्तान टाइम्स की एक रिपोर्ट में एक सीनियर डीएमके नेता का नाम छिपाकर लिखा गया है कि सनातन धर्म विवाद को हमने उठाया था. जैसे ही उन्हें प्रमोशन मिलती है, यह मुद्दा उठेगा लेकिन तब तक शांत पड़ जाएगा. सीएम अब बीमार रहते हैं, उनकी उम्र हो गई है, अब उनके बेटे यह भार संभाल सकते हैं. स्टालिन को यह भरोसा है. एमके स्टालिन 20 दिनों के लिए अमेरिका जाने वाले हैं. वे वहां कई निवेशकों से मुलाकात करेंगे और राज्य में कंपनियों को लाने की कोशिश करेंगे. 19 अगस्त के बाद से कुछ बड़े बदलाव पार्टी में देखने को मिल सकता है. 

बैठक में हो सकता है अहम फैसला 

एमके स्टालिन का स्वास्थ्य खतरे में नहीं है. वे विदेश में इलाज कराने जा रहे हैं. ऐसे में हो सकता है कि उन्हें सीएम नहीं, डिप्टी सीएम बना दिया जाए. वे कैबिनेट बैठकें कर सकेंगे, अहम फैसले ले सकेंगे. एमके स्टालिन ने मगंलवार को एक बैठक बुलाई थी. उदयनिधि पेरिस ओंलपिक में गए थे. अब वे आ गए हैं तो एक अहम बैठक आज होने वाली है.

एमके स्टालिन जिला सचिव और पार्टी मुख्यालय के लोगों के साथ बैठक करेंगे. बैठक में उनके पदोन्नति पर चर्चा होगी. ऐसा पहले कहा जाता रहा है कि उदयनिधि सरकार में रहकर अभी सीखें लेकिन अब ऐसे हालत बन रहे हैं कि उन्हें सीएम पद दिया जा सकता है. अभी तक कुछ भी स्पष्ट रूप से नहीं कहा गया है. 

पार्टी के भविष्य हैं उदयनिधि

डीएमके में पार्टी संगठन, पदों को लेकर बहुत स्पष्ट है. डीएमके नेताओं का कहना है कि उदयनिधि ही भविष्य हैं, इसे लेकर उनका परिवार एकमत है और इसमें किसी भी तरह की बगावत नहीं होगी. दूसरे बगावत करने की हैसियत में नहीं हैं. सत्तारूढ़ रहने के दौरान ही अगर सत्ता का हस्तांतरण होता है तो बगावत और कम हो जाएगी. अब सारा फैसला एमके स्टालिन और उनकी सौतेली बहन कनिमोझी करुणानिधि के हाथ में है.