मुंबई: महाराष्ट्र की राजनीति में महाविकास अघाड़ी में दरार के संकेत और तेज हो गए हैं. बीएमसी चुनावों को लेकर कांग्रेस द्वारा अकेले लड़ने के संकेत देने के बाद शिवसेना यूबीटी प्रमुख उद्धव ठाकरे ने स्पष्ट कहा कि कांग्रेस अपने फैसले लेने के लिए स्वतंत्र है और उनकी पार्टी भी इसी तरह स्वतंत्र है. यह बयान ऐसे समय आया है जब एमवीए गठबंधन एकजुटता का संदेश देने की कोशिश कर रहा है लेकिन भीतर ही भीतर असहमति बढ़ रही है.
कांग्रेस नेता वर्षा गायकवाड़ ने शनिवार को कहा था कि पार्टी बीएमसी चुनाव अकेले लड़ने की तैयारी कर रही है. इस बयान के अगले ही दिन उद्धव ठाकरे की प्रतिक्रिया ने गठबंधन में नई हलचल ला दी. ठाकरे ने पत्रकारों से कहा कि कांग्रेस एक स्वतंत्र पार्टी है और उनकी पार्टी भी निर्णय लेने में स्वतंत्र है. उन्होंने यह भी संकेत दिया कि अगर कांग्रेस अपने फैसले खुद ले रही है तो शिवसेना यूबीटी भी अपने रास्ते चुनने में आजाद है.
यह विवाद उस समय और गहरा गया जब एमएनएस को विपक्षी खेमे में शामिल करने को लेकर कांग्रेस के एक हिस्से ने आपत्ति जताई. ठाकरे का बयान इसी पृष्ठभूमि में आया और इससे गठबंधन के भीतर मतभेद खुलकर सामने आ गए.
उद्धव ठाकरे ने बिहार चुनावों पर भी गंभीर सवाल उठाए. उन्होंने कहा कि लोकतंत्र का नया गणित समझ से परे हो गया है जहां विपक्षी दलों की रैलियों में भारी भीड़ दिखाई देती है लेकिन चुनाव परिणामों में इसका असर नहीं दिखता.
उन्होंने तेजस्वी यादव को मिली जनता की भारी प्रतिक्रिया पर सवाल उठाया और पूछा कि यह समर्थन वास्तविक था या आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के माध्यम से बनाया गया था. उन्होंने चुनाव आयोग पर भी कड़ा प्रहार किया. ठाकरे ने कहा कि एकजुट विपक्ष ने मतदाता सूची में अनियमितताओं को लेकर मार्च निकाला और इस पर चर्चा की मांग की लेकिन चुनाव आयोग ने इस मुद्दे पर गंभीरता नहीं दिखाई.
उन्होंने कहा कि यदि चुनाव प्रक्रिया में पारदर्शिता ही न रहे तो क्या इसे लोकतंत्र कहा जा सकता है. उन्होंने भाजपा पर भी क्षेत्रीय दलों को कमजोर करने की साजिश रचने का आरोप लगाया. उनका कहना था कि देश में ऐसी कोई भी पार्टी ज्यादा समय तक टिक नहीं पाएगी जो क्षेत्रीय गौरव को कमजोर करने की कोशिश करती है.