BMC Elections 2025: महाराष्ट्र की राजनीति में एक बड़ा बदलाव आया जब उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे एक मंच पर साथ नजर आए. दोनों नेताओं ने मराठी अस्मिता और हिंदी विरोध के पुराने मुद्दों को फिर से उठाया. हालांकि, यह स्पष्ट नहीं है कि यह मंच साझा करना किसी गठबंधन की शुरुआत है या महज एक राजनीतिक संदेश. आगामी बृहन्मुंबई महानगरपालिका (BMC) चुनाव इसका पहला असली इम्तहान होंगे.
राज ठाकरे की पार्टी मनसे का इतिहास हिंदी भाषियों और उत्तर भारतीयों के खिलाफ विरोध प्रदर्शन और हिंसा से जुड़ा रहा है. ऐसे में अगर उद्धव ठाकरे की शिवसेना (UBT) राज ठाकरे से हाथ मिलाती है, तो मुंबई बेल्ट के करीब 50 लाख उत्तर भारतीय वोटर इससे नाराज हो सकते हैं. खासकर मुंबई, ठाणे, पालघर और रायगढ़ में ये वोट निर्णायक भूमिका निभा सकते हैं.
शिवसेना शिंदे गुट से लगातार कमजोर होती स्थिति और विधानसभा चुनाव में हार के बाद उद्धव ठाकरे के सामने राजनीतिक अस्तित्व की चुनौती है. वहीं, राज ठाकरे की पार्टी लगातार सियासी हाशिए पर जा रही है. ऐसे में दोनों ठाकरे बंधुओं का एक साथ आना एक मजबूरी के तौर पर देखा जा रहा है. हालांकि, सवाल यह भी है कि क्या महत्वाकांक्षी राज ठाकरे, उद्धव ठाकरे को नेतृत्वकर्ता मानने को तैयार होंगे?
राज और उद्धव की नजदीकी शिवसेना शिंदे गुट के लिए एक नई चुनौती बन सकती है. डिप्टी सीएम एकनाथ शिंदे खुद को बाल ठाकरे की विचारधारा का असली वारिस बताते रहे हैं. अगर ठाकरे परिवार की एकता फिर से दिखती है, तो मराठी वोट बैंक में बदलाव तय है.
कार्यक्रम में दोनों नेताओं ने मराठी में भावनात्मक भाषण दिए. उद्धव ठाकरे ने कहा, 'हम दोनों ने देखा है कि कैसे हमारा इस्तेमाल करने के बाद छोड़ दिया गया.' वहीं राज ठाकरे ने बीजेपी को नाम लिए बिना निशाने पर रखा.
2009 के विधानसभा चुनाव में मनसे ने शिवसेना-बीजेपी के वोट काटकर कांग्रेस-एनसीपी को फायदा पहुंचाया था. जबकि बाद में राज ठाकरे ने कभी बीजेपी का समर्थन किया, कभी विरोध. अब देखना होगा कि दो दशकों बाद यह 'भाईचारा' किस दिशा में जाता है.