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'रिंकल्स अच्छे हैं', CSIR ने कर्मचारियों से कहा- सोमवार को बिना इस्त्री किए कपड़े पहनकर ऑफिस आएं

UCSIR Unique Initiative: क्लाइमेट चेंज को लेकर CSIR ने अनोखी पहल की है. एक सर्कुलर जारी कर CSIR ने कर्मचारियों से कहा है कि वे सोमवार को बिना आयरन किए हुए कपड़े पहनकर ऑफिस आएं. कहा गया है कि जलवायु परिवर्तन से लड़ने के लिए ये जरूरी है, क्योंकि कपड़े इस्त्री करने से कार्बन डाइऑक्साइड का उत्सर्जन बढ़ रहा है.

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UCSIR nique initiative Climate Change Do not wear ironed clothes on Monday

UCSIR Unique Initiative: वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद (CSIR) हेडक्वार्टर की ओऱ से हाल ही में अनोखी पहल की गई है. CSIR की ओर से अपने सभी लैबोरेट्रीज को एक सर्कुलर भेजा गया है, जिसमें कहा गया है कि सोमवार को बिना इस्त्री किए हुए कपड़े पहनकर ही ऑफिस आना है. जलवायु परिवर्तन यानी क्लामेंट चेंज से लड़ने के लिए ऐसा करना जरूरी है. सर्कुलर में बताया गया है कि कैसे कपड़े इस्त्री करने से कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन बढ़ रहा है.

ग्लोबल क्लाइमेट चेंज के प्रभावों को रोकने की दिशा में CSIR के इस कदम को अवैज्ञानिक और विचित्र बताया जा रहा है. इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, CSIR ने देश में अपनी 37 लैब्स में अपने सभी कर्मचारियों, छात्रों को 15 मई तक सभी सोमवार को बिना इस्त्री किए हुए कपड़े पहनकर आने को कहा है.

कपड़े आयरन करने पर निकलती है कार्बन डाई ऑक्साइड

CSIR की ओर से तर्क दिया गया है कि एक जोड़ी कपड़े इस्त्री करने से 100-200 ग्राम कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन होता है. CSIR और सेंट्रल लेदर रिसर्च इंस्टीट्यूट (CLRI), चेन्नई की ओर से जारी 3 मई 2024 के सर्कुलर में कहा गया है कि क्लाइमेट चेंज को चुनौती देने के लिए हफ्ते में कम से कम एक दिन बिना आयरन किए हुए कपड़े पहनकर ऑफिस आना होगा. ऐसा पावर की एनर्जी को कम करने के लिए भी किया जा सकता है.

सर्कुलर में बताया गया कि लोहे को गर्म होने में करीब 800 से 1200 वाट बिजली लगती है, जो एक बल्ब की ओर से ली जाने वाली बिजली से करीब 20-30 गुना अधिक है. भारत में 74 प्रतिशत बिजली का उत्पादन कोयले से होता है. 5 लोगों के परिवार के लिए एक जोड़ी कपड़े इस्त्री करने से एक किलोग्राम कार्बन डाइऑक्साइड का उत्सर्जन हो सकता है.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट में ये भी कहा गया है कि विडंबना ये है कि CLRI, लेदर इंडस्ट्रीज के साथ काम करता है, जो उद्योगों में सबसे बड़े प्रदूषकों में से एक है. इसके अलावा, CSIR की कई लैब्स नियमित रूप से बड़ी मात्रा में कैमिकल्स का यूज करती हैं जो हानिकारक और प्रदूषणकारी दोनों हैं.

एनर्जी स्वराज फाउंडेशन ने शुरू किया था कैंपेन

आईआईटी-बॉम्बे के एनर्जी साइंस और इंजीनियरिंग डिपार्टमेंट के प्रोफेसर और इंडस्ट्रियलिस्ट चेतन सिंह सोलंकी की एनर्जी स्वराज फाउंडेशन ने इस महीने की शुरुआत में 'रिंकल्स अच्छे है' कैंपेन लॉन्च किया था. फाउंडेशन मिशन LiFE (पर्यावरण के लिए लाइफ स्टाइल) में विश्वास करता है, जो भारत का एक जन आंदोलन है. CSIR की स्थापना 1942 में फेमस साइंटिस्ट शांति स्वरूप भटनागर ने देश में इंडस्ट्री और साइंटिफिक इंस्टिट्यूशन को एक साथ मिलकर काम करने के लिए की थी.