Supreme Court Orders AAP: सुप्रीम कोर्ट ने अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व वाली आम आदमी पार्टी को वह बंगला खाली करने के लिए आदेश दिया है, जो दिल्ली हाई कोर्ट की विस्तार परियोजना के लिए आवंटित भूमि पर है. उस जमीन पर फिलहाल AAP का पार्टी मुख्यालय है.
सुप्रीम कोर्ट ने आदेश में कहा है कि पार्टी को 15 जून की समय सीमा दी जाती है. पार्टी को वैकल्पिक भूमि के लिए केंद्र के भूमि और विकास कार्यालय में आवेदन करने की भी अनुमति दी गई है. फरवरी में कोर्ट ने पाया था कि AAP जमीन पर अतिक्रमण कर रही है.
मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने कहा कि हम एलएंडडीओ से आवेदन पर कार्रवाई करने और चार हफ्तों के भीतर अपना निर्णय बताने की अपील करते हैं. पीठ ने कहा कि आप (AAP) को इस जमीन पर बने रहने का कोई कानूनी अधिकार नहीं है.
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, फरवरी में कोर्ट ने पाया था कि AAP उस जमीन पर अतिक्रमण कर रही थी, जो दिल्ली हाईकोर्ट को एक विस्तार परियोजना राउज एवेन्यू कोर्ट के लिए अतिरिक्त कोर्ट रूम बनाने के लिए आवंटित की गई थी. इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट का ध्यान उस वक्त गया, जब देशभर में न्यायिक बुनियादी ढांचों को लेकर चर्चा चल रही थी.
कोर्ट के आदेश के बाद 15 फरवरी को एक बैठक हुई थी, जिसमें राज्य सरकार ने आश्वासन दिया था कि दो महीने में भूखंड खाली कर दिया जाएगा, बशर्ते वैकल्पिक भूखंड दिया जाए, लेकिन इस मामले में आगे कोई बात नहीं बढ़ी.
मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि कोई भी कानून अपने हाथ में नहीं ले सकता. उन्होंने कहा कि कोई भी राजनीतिक दल इस पर कैसे बैठ सकता है? सभी अतिक्रमण हटा दिए जाएंगे. हाईकोर्ट को जमीन का कब्जा दिया जाना चाहिए, जिसका उपयोग जनता और नागरिकों के लिए किया जा सकता है.
उन्होंने कहा कि हम निर्देश देते हैं, दिल्ली सरकार के मुख्य सचिव, पीडब्ल्यूडी सचिव और वित्त सचिव को सभी मुद्दों का समाधान सुनिश्चित करने के लिए अगली तारीख से पहले हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल के साथ बैठक करनी होगी.
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सवाल किया कि आप को वैकल्पिक जमीन क्यों दी जानी है? उन्होंने कहा कि जमीन का आवंटन सरकार को किया गया था, लेकिन सरकार ने उसे पार्टी को दे दिया. उधर, AAP की ओर से पेश वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि छह राष्ट्रीय पार्टियों में से एक होने के नाते AAP एक जमीन की हकदार है.
इस पर मुख्य न्यायाधीश ने हल्के अंदाज में कहा कि आपको इस मामले में पेश नहीं होना चाहिए. आप दिल्ली हाईकोर्ट के लिए जमीन का विरोध नहीं कर सकते. आप प्लॉट पाने के लिए हमारे अच्छे कार्यालयों का उपयोग कर रहे हैं. हम इसकी इजाजत कैसे दे सकते हैं?