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Supreme Court: सुप्रीम कोर्ट में कुक की बेटी को CJI ने किया सम्मानित, वजह जान आप भी हो जाएंगे बाग-बाग

Supreme Court: सुप्रीम कोर्ट में खाना बनाने वाले बावर्ची की बेटी प्रज्ञा को दो अमेरिकी विश्वविद्यालयों से लॉ में मास्टर्स करने के लिए स्कॉलरशिप मिला है. जिसके बाद सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने सुप्रीम कोर्ट के सभी जजों के साथ के साथ रसोइये की बेटी प्रज्ञा को सम्मानित किया है.

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Supreme Court: भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने सुप्रीम कोर्ट में काम कर रहे एक रसोइये की बेटी को सम्मानित किया. जिसने दो शीर्ष अमेरिकी विश्वविद्यालयों कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय और मिशिगन विश्वविद्यालय में कानून में स्नातकोत्तर करने के लिए 41 लाख रुपये की स्कॉलरशिप जीता है. अब सुप्रीम कोर्ट के कुक की बेटी अब अमेरिका से कानून की पढ़ाई करेगी. यही वजह है कि सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ और सुप्रीम कोर्ट के अन्य जजों ने बुधवार को रसोइये की बेटी और प्रज्ञा को सम्मानित किया. 

सुप्रीम कोर्ट की कार्यवाही शुरू होने से पहले सीजेआई की ओर से दूसरे साथी जजों को इकट्ठा किया गया और सभी को कुक की बेटी के बारे में बताया गया. जहां जजों ने 25 साल की प्रज्ञा का खड़े होकर अभिनंदन किया. जो मौजूदा समय में सुप्रीम कोर्ट के इन-हाउस थिंक-टैंक सेंटर के साथ एक कानून शोधकर्ता के रूप में जुड़ी हुई हैं. सीजेआई ने प्रज्ञा को भारतीय संविधान पर केंद्रित तीन पुस्तकें उपहार में भेंट की. इन किताबों पर सुप्रीम कोर्ट के सभी जजों ने हस्ताक्षर किए गए थे. 

प्रज्ञा के माता-पिता को CJI ने किया सम्मानित

सीजेआई चंद्रचूड़ ने प्रज्ञा के माता-पिता को भी इस मौके पर शॉल भेंट करते हुए सम्मानित किया. वहीं सभी जजों ने प्रज्ञा को उसके भविष्य के लिये शुभकामनाएं दीं. सीजेआई के हाथों सम्मानित होने पर प्रज्ञा ने कहा कि न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने उन्हें प्रेरित किया. वह युवा वकीलों को प्रोत्साहित करते हैं और उनके शब्द हमेशा मेरे लिए प्रेरणादायक होते है. 

जानें रसोइये की बेटी के बारे में CJI ने क्या कहां? 

प्रज्ञा को सम्मानित करने के बाद सीजेआई चंद्रचूड़ ने कहा, "हम जानते हैं कि प्रज्ञा ने अपने दम पर कुछ हासिल किया है लेकिन हम यह सुनिश्चित करेंगे कि जो कुछ भी आवश्यक है, वह उसे प्राप्त करने में सफल हो. हम उम्मीद करते हैं कि वो देश की सेवा के लिए वापस लौटेंगी. वह जो भी करेगी, उसमें उत्कृष्टता हासिल करेगी और वह 1.4 अरब लोगों के सपनों को अपने कंधों पर बहुत आसानी से ले जाएगी. यह न केवल सरकार की बल्कि नागरिकों की भी जिम्मेदारी है कि वह यह सुनिश्चित करें कि हर बच्चा, जो हायर एजुकेशन करना चाहता है या खेल में उत्कृष्टता हासिल करना चाहता है, अपने सपने हासिल कर सकें."