दिल्ली-NCR में प्रदूषण की स्थिति लगातार गंभीर बनी हुई है. इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने सख्त मौखिक टिप्पणी भी की. इस बीच एक बड़ी खबर सामने आई है. देश की शीर्ष अदालत ने पुराने वाहनों को लेकर अपने आदेश में संशोधन किया है.
सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली-एनसीआर में पुराने वाहनों को लेकर अपने पहले दिए गए आदेश में बदलाव किया है. नए आदेश के अनुसार, अब केवल बीएस-4 और उससे नए मानकों वाले वाहनों को ही राहत मिलेगी. अदालत ने साफ कर दिया है कि बीएस-3 और उससे पुराने इंजन वाले वाहन इस छूट के दायरे में नहीं आएंगे. यानी ऐसे वाहन अगर सड़कों पर चलते पाए जाते हैं, तो उनके खिलाफ कार्रवाई हो सकती है. यह संशोधन वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (CAQM) के अनुरोध पर किया गया है.
इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार की याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा था कि 10 साल पुराने डीजल और 15 साल पुराने पेट्रोल वाहनों के खिलाफ फिलहाल कोई सख्त कदम नहीं उठाया जाएगा. उस आदेश के बाद वाहन मालिकों और नियम लागू करने वाली एजेंसियों के बीच भ्रम की स्थिति बन गई थी. यह स्पष्ट नहीं था कि किन वाहनों को राहत मिलेगी और किन पर कार्रवाई की जाएगी. इसी उलझन को दूर करने के लिए अब अदालत ने अपना आदेश साफ शब्दों में संशोधित कर दिया है.
सुप्रीम कोर्ट ने अपने नए आदेश में यह भी दोहराया कि बीएस-3 मानक वाले वाहन किसी भी तरह की छूट के पात्र नहीं होंगे. इसके अलावा इससे भी पुराने वाहनों को कोई सुरक्षा नहीं दी जाएगी. अदालत का मानना है कि पुराने इंजन वाले वाहन अधिक प्रदूषण फैलाते हैं और दिल्ली-एनसीआर की खराब हवा के लिए जिम्मेदार हैं. इसलिए केवल अपेक्षाकृत कम प्रदूषण करने वाले बीएस-4 और नए वाहनों को ही राहत देना उचित है.
गौरतलब है कि इसी साल अगस्त में सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली-एनसीआर में पुराने वाहनों के मालिकों को अंतरिम राहत दी थी. उस समय 10 साल पुराने डीजल और 15 साल पुराने पेट्रोल वाहनों पर लगे प्रतिबंध को लेकर कोर्ट ने कहा था कि जब तक अगला आदेश नहीं आता, तब तक इन वाहन मालिकों के खिलाफ कोई दंडात्मक कार्रवाई नहीं की जाएगी. यह आदेश तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश बी.आर. गवई की अगुवाई वाली पीठ ने दिया था, जिसमें जस्टिस विनोद के. चंद्रन और जस्टिस एन.वी. अंजारिया भी शामिल थे.
उस दौरान सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से चार हफ्तों के भीतर जवाब मांगा था. और साथ ही परिवहन मंत्रालय और दिल्ली सरकार को भी नोटिस जारी किया गया था. दिल्ली सरकार की पुनर्विचार याचिका को भी अदालत ने रिकॉर्ड में लिया था. सरकार ने अपने पक्ष में कहा था कि प्रदूषण के मामले में तकनीक और मानकों को ध्यान में रखा जाना चाहिए.
दिल्ली सरकार ने कोर्ट से 2018 के आदेश पर दोबारा विचार करने की मांग की थी. याचिका में कहा गया था कि बीएस-6 वाहन, बीएस-4 की तुलना में कम प्रदूषण फैलाते हैं. सरकार ने यह भी अनुरोध किया था कि केंद्र सरकार या CAQM को निर्देश दिए जाएं, ताकि एनसीआर में 15 साल पुराने पेट्रोल और 10 साल पुराने डीजल वाहनों के असर पर एक व्यापक और वैज्ञानिक अध्ययन कराया जा सके.