साल 2021 और 2022 के बीच छात्रों की आत्महत्या की संख्या में 4.2 प्रतिशत की वृद्धि हुई है. आईसी3 की एक रिपोर्ट के अनुसार, पिछले दो दशकों में छात्रों की आत्महत्याएं 4 प्रतिशत की खतरनाक वार्षिक दर से बढ़ी हैं, जो राष्ट्रीय औसत से दोगुनी है. आईसी3 एक स्वयंसेवी संगठन है जो काउंसिलिंग और ट्रेनिंग संसाधनों के माध्यम से दुनिया भर के विद्यालयों को सहायता प्रदान करता है.
रिपोर्ट के अनुसार, 2022 में 13,044 छात्रों की आत्महत्या की रिपोर्ट दर्ज की गई है, जबकि 2021 में ये संख्या 13,089 है. ये साल दर साल मामूली कमी को दिखाता है. इसकी तुलना में, कुल आत्महत्या (छात्र और अन्य लोग) 4.2 प्रतिशत बढ़कर 2021 में 1 लाख 64 हजार 033 से 2022 में 1 लाख 70 हजार 924 हो गईं. डेटा बताता है कि पिछले 10 और 20 साल में, कुल आत्महत्या औसतन सालाना 2 प्रतिशत बढ़ी है, जबकि छात्र आत्महत्या 4 प्रतिशत बढ़ी हैं, यानी कुल आत्महत्याओं का दोगुना.
महाराष्ट्र में छात्रों की आत्महत्याओं की संख्या सबसे ज़्यादा है, जो कुल सुसाइड का 14 प्रतिशत है, जो लिस्टेड राज्यों में सबसे ज़्यादा प्रतिशत है. तमिलनाडु में 11 प्रतिशत मामले हैं, जहां आत्महत्या के मामलों की संख्या काफ़ी ज़्यादा है. मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश में भी चिंताजनक आंकड़े हैं, जहां 10 और 8 प्रतिशत मामले हैं. हालांकि ये ऊपर बताए गए महाराष्ट्र और तमिलनाडु से कम है. झारखंड में इस मामले में पांचवे नंबर पर है, जहां छात्र आत्महत्याओं की कुल संख्या का 6 प्रतिशत हिस्सा है.
2021 और 2022 में महाराष्ट्र, तमिलनाडु और मध्य प्रदेश सबसे ज़्यादा आत्महत्या करने वाले राज्य थे. इन तीन राज्यों में देश के कुल छात्र आत्महत्याओं की संख्या का एक तिहाई हिस्सा शामिल है. इस बीच, तमिलनाडु और झारखंड के आंकड़े छात्र आत्महत्याओं में साल-दर-साल बढ़ोतरी को दिखाते हैं, जहां का प्रतिशत 14 और 15 है. दूसरी ओर, छात्रों की आत्महत्या के लिए कुख्यात कोटा कोचिंग शहर वाला राजस्थान 571 छात्र आत्महत्याओं के साथ 10वें स्थान पर है.
छात्र आत्महत्याओं की घटनाएं जनसंख्या वृद्धि दर और समग्र आत्महत्या प्रवृत्तियों दोनों को पार करती जा रही हैं. पिछले दशक में, 0-24 वर्ष की आयु के बच्चों की आबादी 582 मिलियन से घटकर 581 मिलियन हो गई, वहीं छात्र आत्महत्याओं की संख्या 6,654 से बढ़कर 13,044 हो गई.
लिंग के आधार पर देखा जाए तो पिछले 10 सालों में पुरुष छात्रों की आत्महत्या में 50 प्रतिशत की वृद्धि हुई है, जबकि महिला छात्रों की आत्महत्या में 61 प्रतिशत की वृद्धि हुई है. पिछले पांच सालों में पुरुष और महिला छात्रों की आत्महत्या में औसतन 5 प्रतिशत की वार्षिक वृद्धि हुई है.
2022 में, कुल छात्र आत्महत्याओं में 53 प्रतिशत पुरुष छात्र थे. 2021 और 2022 के बीच, पुरुष छात्र आत्महत्याओं में 6 प्रतिशत की कमी आई जबकि महिला छात्र आत्महत्याओं में 7 प्रतिशत की वृद्धि हुई. 2012 से पिछले एक दशक में, पुरुष छात्र आत्महत्याओं में 99 प्रतिशत की वृद्धि हुई और महिला छात्र आत्महत्याओं में 92 प्रतिशत की वृद्धि हुई.