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India Daily

क्या भारत को ट्रंप पर भरोसा करना चाहिए? जानें सवाल पर क्या बोले विदेश मंत्री एस जयशंकर

जयशंकर का यह बयान ऐसे समय में आया है जब भारत और अमेरिका के बीच भारत-पाकिस्तान तनाव को लेकर मतभेद सामने आए हैं.

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Edited By: Sagar Bhardwaj
Should India trust donald Trump Know what Foreign Minister S Jaishankar said on this question

विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने इस सप्ताह ब्रसेल्स में यूरोपीय यूनियन (ईयू) नेताओं के साथ मुलाकात के दौरान भारत की विदेश नीति और वैश्विक शक्तियों के साथ संबंधों पर खुलकर बात की. यूरोपीय मीडिया नेटवर्क यूरएक्टिव के साथ बातचीत में उनसे पूछा गया कि क्या भारत डोनाल्ड ट्रम्प पर भरोसा कर सकता है. जयशंकर ने जवाब दिया, "इसका मतलब क्या?" जब सवाल को विस्तार से पूछा गया कि "क्या ट्रम्प अपने वादों पर खरे हैं? क्या वह भारत के साथ गहरे संबंधों के लिए उपयुक्त साझेदार हैं?", तो जयशंकर ने कहा, "मैं दुनिया को जैसा पाता हूं, वैसा स्वीकार करता हूं. हमारा लक्ष्य हर उस रिश्ते को आगे बढ़ाना है जो हमारे हित में हो—और अमेरिका के साथ संबंध हमारे लिए अत्यंत महत्वपूर्ण हैं. यह व्यक्तित्व या किसी राष्ट्रपति के बारे में नहीं है."

भारत-पाकिस्तान तनाव पर अमेरिका का दावा

जयशंकर का यह बयान ऐसे समय में आया है जब भारत और अमेरिका के बीच भारत-पाकिस्तान तनाव को लेकर मतभेद सामने आए हैं. अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रम्प ने बार-बार दावा किया है कि उन्होंने भारत और पाकिस्तान के बीच शांति स्थापित करने में मध्यस्थता की. 31 मई को एक कैंपेन इवेंट में ट्रम्प ने कहा, "हमने व्यापार वार्ता को तनाव कम करने से जोड़ा और कहा कि एक-दूसरे पर गोलीबारी करने वाले या परमाणु हथियारों का इस्तेमाल करने वाले देशों के साथ व्यापार नहीं हो सकता... वे समझ गए और सहमत हुए, और यह सब रुक गया." भारत ने इन दावों को खारिज करते हुए कहा कि ऑपरेशन सिंदूर के बाद संघर्षविराम पूरी तरह से द्विपक्षीय बातचीत का परिणाम था.

आतंकवाद पर भारत का रुख
पहलगाम आतंकी हमले के बाद पाकिस्तान के साथ हालिया तनाव पर जयशंकर ने पश्चिमी देशों से ऑपरेशन सिंदूर को आतंकवाद विरोधी कार्रवाई के रूप में देखने का आग्रह किया. उन्होंने कहा, "यह सिर्फ भारत-पाकिस्तान का मुद्दा नहीं है, यह आतंकवाद के बारे में है. मैं आपको याद दिलाना चाहता हूं—ओसामा बिन लादेन पाकिस्तान के सैन्य शहर में, उनके वेस्ट पॉइंट के समकक्ष स्थान के पास रहता था. यही आतंकवाद अंततः आपको भी परेशान करेगा."

वैश्विक मंच पर भारत-ईयू संबंध
जयशंकर ने यूरोप की "रणनीतिक स्वायत्तता" की खोज पर टिप्पणी करते हुए कहा, "बहुध्रुवीयता पहले से ही मौजूद है. यूरोप को अब अपनी क्षमताओं और हितों के आधार पर निर्णय लेना होगा." उन्होंने ईयू को वैश्विक व्यवस्था का "प्रमुख ध्रुव" बताते हुए कहा, "यही कारण है कि मैं यहां हूं: इस बहुध्रुवीय दुनिया में हमारे संबंधों को और गहरा करने के लिए."