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India Daily

शरद पवार और अजित पवार की मुलाकात ने बढ़ाया महाराष्ट्र का सियासी पारा, 1 घंटे की चर्चा में उठे ये मुद्दे

महाराष्ट्र की राजनीति में एक बार फिर हलचल बढ़ गई है. शरद पवार और अजित पवार की मुलाकात ने सियासी गलियारों में चर्चाओं का नया दौर शुरू कर दिया है. 

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Edited By: Kuldeep Sharma
Sharad Pawar Ajit Pawar meeting- file photo
Courtesy: social media

Sharad Pawar meet Ajit Pawar: मुंबई के वाय. बी. चव्हाण सेंटर में चाचा-भतीजे की मुलाकात ने महाराष्ट्र की राजनीति का पारा चढ़ा दिया. अजित पवार और शरद पवार के बीच करीब एक घंटे तक चली इस बैठक ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं. भले ही बैठक के एजेंडे में बाढ़ और सहकारी शुगर फैक्ट्री जैसे विषय रहे हों, लेकिन दोनों नेताओं का आमने-सामने बैठना खुद में एक बड़ा राजनीतिक संदेश माना जा रहा है.

बैठक के दौरान राज्य में हालिया बाढ़ की स्थिति और प्रभावितों के लिए की जा रही मदद पर विशेष चर्चा हुई. सूत्रों के अनुसार, शरद पवार ने अजित पवार से राहत कार्यों की प्रगति और अब तक हुए पंचनामों के बारे में जानकारी ली. अजित पवार ने बताया कि सरकार किस तरह प्रभावित किसानों और नागरिकों की मदद के लिए कदम उठा रही है. इसके अलावा, राहत कार्यों के लिए अतिरिक्त फंड जुटाने की रणनीति पर भी विचार हुआ.

मालेगांव शुगर फैक्ट्री का मुद्दा

बैठक का एक अहम हिस्सा मालेगांव सहकारी शुगर फैक्ट्री से जुड़ा रहा. यह फैक्ट्री लंबे समय से विवादों और आर्थिक संकट में फंसी हुई है. दोनों नेताओं ने इसके प्रबंधन और भविष्य को लेकर विचार साझा किए. चूंकि सहकारी शुगर फैक्ट्रियां महाराष्ट्र की राजनीति और अर्थव्यवस्था में बड़ी भूमिका निभाती हैं, ऐसे में इस मुद्दे पर हुई बातचीत को भी राजनीतिक महत्व का माना जा रहा है.

पारिवारिक रिश्तों का ताना-बाना

बैठक में सिर्फ राजनीति और प्रशासनिक मुद्दे ही नहीं, बल्कि कुछ पारिवारिक पहलुओं पर भी बातचीत हुई. शरद पवार और अजित पवार दोनों कई मौकों पर एक साथ दिख चुके हैं, लेकिन इस बार निजी तौर पर हुई चर्चा ने अलग ही मायने पैदा कर दिए हैं. यह मुलाकात ऐसे समय हुई है जब राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) के दोनों गुटों के बीच तालमेल और दूरी को लेकर लगातार कयास लगाए जा रहे हैं.

सियासी गलियारों में हलचल

यह मुलाकात इसलिए भी अहम है क्योंकि शरद पवार और अजित पवार के बीच सीधी बातचीत लंबे समय बाद हुई है. पहले की मुलाकातें ज्यादातर सार्वजनिक कार्यक्रमों या बैठकों तक ही सीमित रही थीं. राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि भले ही इस बैठक को प्रशासनिक और पारिवारिक चर्चा बताया गया हो, लेकिन इसका असर महाराष्ट्र की सत्ता समीकरणों पर पड़ना तय है. चाचा-भतीजे की यह बातचीत आने वाले समय में राज्य की राजनीति के नए समीकरणों का आधार बन सकती है.