Gold From Mushroom: जब भी बात कीमती धातुओं की होती है तो गोल्ड का नाम सबसे पहले आता है. क्योंकि अधिकतर ज्वेलरी सोने से ही बनाई जाती है. एक समय था जब भारत को सोने की चिड़िया कहा जाता था. लेकिन आज के समय में सोना इतना महंगा है कि आम आदमी इसे खरीदने से पहले 10 बार सोचता है. सोना जमीन में पाया जाता है. आपने सोने की खदान के बारे में सुना होगा. लेकिन आज के वैज्ञानिक युग में धातुओं को क्रियाओं के जरिए बनाया जा रहा है. इसी कड़ी में दो शोधकर्ताओं को बड़ी सफलता हाथ लगी है. उन्होंने दावा किया है कि उन्होंने मशरूम से सोना बनाने में सफलता प्राप्त की है.
गोवा के दो रिसर्चर्स ने ये दावा किया है कि उन्होंने जंगल में पाई जाने वाली मशरूम की एक प्रजाति को सिंथेसाइज तो गोल्ड के नैनो पार्टिकल प्राप्त हुए. यह मशरूम ज्यादातर समुद्री इलाकों में रहने वाले लोग खाते हैं.
जिस मशरूम को शोधकर्ताओं ने सिंथेसाइज करके सोना बनाया वह टर्मिटोमाइसेस (Termitomyces) प्रजाति का है. यह एक जंगली मशरूम है. यह गोवा में बहुत ही प्रचलित है. मानसून सीजन में यह खाया जाता है.
नई शोध के अनुसार टर्मिटोमाइसेस प्रजाति के मशरूम को सफलतापूर्वक सोने में बदला गया.वैज्ञानिकों द्वारा किए गए इस शोध को हाल ही में जियो माइक्रोबायोलॉजी जर्नल (Geomicrobiology Journal ) ने प्रकाशित किया गया था.
मंगलवार को रिसर्चर डॉ. सुजाता दाबोलकर और डॉ. नंदकुमार कामत ने अपने नए शोध को गोवा के पर्यावरण मंत्री और गोवा राज्य जैव विविधता बोर्ड (GSBB) के अध्यक्ष एलेक्स सिकेरा के सामने प्रस्तुत किया. दोनों ने सरकार के सामने मशरूम के जरिए कैसे गोवा आर्थिक तरक्की कर सकता है इसका रोडमैप भी शेयर किया.
दोनों रिसर्चर ने बताया कि बॉयोमेडिकल और बॉयोटेक्नोलॉजी विज्ञान में प्रगति के चलते मेडिकल इमेजिंग और इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्यूफैक्चरिंग जैसे विभिन्न क्षेत्रों में सोने के नैनोकणों की मांग बढ़ने का अनुमान है.
वैज्ञानिक डॉ. नंदकुमार कामत पिछले 30 सालों से अलग-अलग प्रकार के मशरूम पर अध्ययन कर रहे हैं. उन्होंने कहा गोवा में मशरूम की सबसे बड़ी प्रजाति टर्मिटोमाइसेस पाई जाती है.