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'लोकतंत्र को भावपूर्ण श्रद्धांजली', स्पीकर के फैसले पर संजय राऊत का फूटा गुस्सा, बताया बीजेपी की चाल

Sanjay Raut: इसके साथ ही उद्धव गुट के 14 विधायकों की सदस्यता भी स्पीकर ने बरकरार रखी. और उन्होंने फैसले में कहा कि शिंदे गुट ही असली शिवसेना पार्टी  है. स्पीकर के इस फैसले के बाद शिवसेना (UBT) के नेता संजय राउत ने इसे लोकतंत्र की हत्या बताया.

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Gyanendra Tiwari
Sanjay Raut

Sanjay Raut: बुधवार को महाराष्ट्र विधानसभा के स्पीकर राहुल नार्वेकर ने मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे समेत उनके गुट के 16 विधायकों और उद्धव गुट के 14 विधायकों की सदस्यता बरकरार रखी. इसके साथ उन्होंने फैसले में कहा कि शिंदे गुट ही असली शिवसेना पार्टी  है. स्पीकर के इस फैसले के बाद शिवसेना (UBT) के नेता संजय राउत ने इसे लोकतंत्र की हत्या बताया.

फैसले पर संजय राऊत का तंज

संजय राऊत ने सोशल मीडिया प्लेटफार्म एक्स पर लोकतंत्र की माला वाली फोटो के साथ भावपूर्ण श्रद्धांजली दी. उन्होंने कैप्शन में लिखा - "भावभीनी श्रद्धांजलि, लोकतंत्र, 1950 - 2023 शोक:-महाराष्ट्र."


गुरुवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस में बोलते हुए राऊत ने कहा, “सुप्रीम कोर्ट ने विधानसभा अध्यक्ष को एक न्यायाधिकरण के रूप में काम करने की जिम्मेदारी दी ताकि न्याय मिले. लेकिन हमारे विधानसभा अध्यक्ष जो अब भाजपा नेता हैं, पहले शिवसेना, कांग्रेस और कई अन्य दलों में रह चुके हैं, ने  शिंदे के 'बेईमान गुट' का वकील बनना चुना. तो फिर न्याय कैसे किया जा सकता है?”

उन्होंने कहा कि शिवसेना कभी नहीं खत्म होगी. महाराष्ट्र के लोग धोखेबाज की सेना को नहीं स्वीकारेंगे. यह बीजेपी की चाल है. और उनका यह सपना है कि वह एक दिन बाला साहेब की शिवसेना को खत्म कर देंगे. लेकिन किसी एक निर्णय की वजह से शिवसेना खत्म नहीं हो जाएगी.

 

उद्धव बोले लड़ाई जारी रखेंगे
स्पीकर ने शिंदे गुट को असली शिवसेना बताया तो पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने कहा कि  सुप्रीम कोर्ट की अवमानना हुई है. उन्होंने कहा नतीजा मैच फिक्सिंग की तरह निकला. हम अपनी लड़ाई जारी रखेंगे. सर्वोच्च न्यायालय को खुद से संज्ञान लेकर कार्रवाई करनी चाहिए.

 

कोर्ट ने दी थी डेडलाइन
सुप्रीम कोर्ट ने विधायकों की अयोग्यता पर फैसला लेने के लिए महाराष्ट्र के स्पीकर नार्वेकर  को 10 जनवरी तक के लिए डेडलाइन दी थी. पहले सुप्रीम कोर्ट ने 31 दिसंबर तक समय दिया था जिसे बाद में बढ़ाकर 10 जनवरी तक के लिए बढ़ा दिया था. स्पीकर के फैसले से मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की स्थिति और मजबूत हो गई है.