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India Daily

India-Russia oil: ट्रंप की धमकी के बावजूद भारत बना रूस का दूसरा सबसे बड़ा कच्चे तेल का खरीदार, पहले नंबर पर चीन

India-Russia oil: इस दौरान तुर्किये, यूरोपीय संघ (EU) और दक्षिण कोरिया ने क्रमशः रूस से ईंधन खरीदा. भारत का रूसी तेल आयात सितंबर में 9% घटकर फरवरी के बाद सबसे निचले स्तर पर आ गया.

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Edited By: Reepu Kumari
India-Russia oil
Courtesy: Pinterest

India-Russia oil: अमेरिका को इस बात की आग लगी हुई है कि आखिर भारत रुस से क्यों कच्चे तेल खरीद रहा है. हद तो तब हो गई जब यूएस के राष्ट्रपति ट्रंप ने यहां तक दावा कर दिया की भारत अब रुसे से तेल नहीं खरीदेगा. लेकिन ताजा रिपोर्ट जवाब के लिए काफी है. भारत ने सितंबर माह में रूस से 25,597 करोड़ रुपये मूल्य का कच्चा तेल खरीदा, जिससे यह चीन के बाद रूस का दूसरा सबसे बड़ा तेल खरीदार बन गया.

हेलसिंकी स्थित सेंटर फॉर रिसर्च ऑन एनर्जी एंड क्लीन एयर (CREA) की रिपोर्ट में यह जानकारी सामने आई है. रिपोर्ट के अनुसार, चीन ने इस दौरान रूस से 3.2 अरब यूरो का कच्चा तेल खरीदा, जिससे वह लगातार सबसे बड़ा खरीदार बना हुआ है. भारत ने रूस से कोयला और रिफाइन ईंधन समेत कुल 3.6 अरब यूरो का जीवाश्म ईंधन खरीदा, जबकि चीन का कुल आयात 5.5 अरब यूरो रहा.

रिपोर्ट में क्या है?

इस दौरान तुर्किये, यूरोपीय संघ (EU) और दक्षिण कोरिया ने क्रमशः रूस से ईंधन खरीदा. भारत का रूसी तेल आयात सितंबर में 9% घटकर फरवरी के बाद सबसे निचले स्तर पर आ गया. सरकारी तेल कंपनियों की खरीद में 38% की गिरावट दर्ज हुई, जो मई 2022 के बाद का न्यूनतम स्तर है. भारत ने इस दौरान रूस से 45.2 करोड़ यूरो का कोयला और 34.4 करोड़ यूरो का रिफाइंड तेल खरीदा, जबकि कोई गैस नहीं खरीदी.

भारत का रूसी तेल आयात घटा, ऊर्जा सुरक्षा पर असर नहीं

भारत का रूसी तेल आयात भले घटा हो, लेकिन रूस अब भी सस्ते क्रूड और ऊर्जा सुरक्षा के लिए प्रमुख स्रोत बना हुआ है. रिपोर्ट में बताया गया कि ट्रंप प्रशासन ने भारत पर रूसी तेल आयात घटाने का दबाव बनाया और भारतीय निर्यातों पर 25% अतिरिक्त शुल्क भी लगाया. इसके बावजूद भारत ने आयात जारी रखा, जिससे यह दिखता है कि भारत की ऊर्जा रणनीति में रूस की अहमियत बनी हुई है.

अंतर्राष्ट्रीय रैंकिंग में चीन सबसे ऊपर

चीन ने रूस से केवल कच्चा तेल ही नहीं, बल्कि एलएनजी (LNG) और कोयले का भी सबसे बड़ा आयात किया. चीन का कुल आयात 5.5 अरब यूरो रहा, जिसमें 78.4 करोड़ यूरो का कोयला, 65.8 करोड़ यूरो की पाइपलाइन गैस और 48.7 करोड़ यूरो का एलएनजी शामिल है.

अन्य प्रमुख आयातक

तुर्किये तीसरे स्थान पर रहा, जिसने रूस से 2.6 अरब यूरो का ईंधन खरीदा, हालांकि यूक्रेन पर हमलों के बाद रूसी डीजल उत्पादन घटने से इसका परिष्कृत तेल आयात 27% कम हो गया. यूरोपीय संघ ने रूस से 74.3 करोड़ यूरो का एलएनजी और पाइपलाइन गैस तथा 31.1 करोड़ यूरो का कच्चा तेल खरीदा. दक्षिण कोरिया कुल 28.3 करोड़ यूरो के आयात के साथ पांचवें स्थान पर रहा. भारत का यह आयात स्तर भले घटा हो, लेकिन सस्ते क्रूड और ऊर्जा सुरक्षा के लिए रूस अभी भी अहम स्रोत बना हुआ है.