Rudra Brigade and Bhairav Commando Battalion: भारतीय सेना ने कारगिल विजय दिवस, 26 जुलाई 2025 के अवसर पर अपनी सीमा सुरक्षा और युद्ध क्षमता को बढ़ाने के लिए दो नई पहल की घोषणा की थी. इसके तहत ‘रुद्र ब्रिगेड’ और ‘भैरव लाइट कमांडो बटालियन’ का गठन किया गया है. ये दोनों यूनिट्स तेज, कुशल और आधुनिक ऑपरेशन सुनिश्चित करेंगी. इसके साथ ही सीमा पर भारत की रणनीतिक स्थिति को और मजबूत करेंगी.
रुद्र ब्रिगेड: सबसे पहले रुद्र ब्रिगेड की बात करें तो यह भारतीय सेना की पहली ऑल-आर्म्स ब्रिगेड है. इसमें पैदल सेना, मैकेनाइज्ड इंफेंट्री, टैंक, आर्टिलरी, स्पेशल फोर्सेज और ड्रोन यूनिट्स शामिल हैं. इसका उद्देश्य ट्रेडिशनल ब्रिगेडों के मुकाबले तेज, आत्मनिर्भर और समन्वित ऑपरेशन करना है.
सीमाओं पर बदलती चुनौतियों को ध्यान में रखते हुए, रुद्र ब्रिगेड मल्टी-डोमेन वॉरफेयर की अवधारणा पर काम करेगी. इसका मतलब है कि जमीनी, हवाई और तकनीकी मोर्चों पर एक साथ कार्रवाई की क्षमता और बेहतर हो जाएगी. ब्रिगेड ड्रोन, लाइट टैंक और हाई-प्रीसाइजन वेपन सिस्टम से लैस होगी. सभी संसाधन ब्रिगेड स्तर पर उपलब्ध होने से ऑपरेशन की स्पीड तो बढ़ेगी ही और साथ ही तालमेल भी बढ़ेगा. सेना प्रमुख जनरल उपेन्द्र द्विवेदी के अनुसार, यह ब्रिगेड इंटीग्रेटेड बैटल ग्रुप (IBG) के एडवांस कॉन्सेप्ट का नया रूप है.
भैरव कमांडो बटालियन: यह ट्रेडिशनल पैदल सेना से छोटी होंगी. इसमें लगभग 250 जवान होंगे, लेकिन यह ज्यादा ट्रेन्ड और डायनेमिक होंगे. इनका काम सीमा पर घुसपैठ रोकना, टोही मिशन करना और दुश्मन की अग्रिम चौकियों पर छापेमारी करना होगा.
पहली पांच भैरव बटालियनें 31 अक्टूबर 2025 तक तैयार हो जाएंगी. इन्हें 1 नवंबर तक डिप्लॉय कर दिया जाएगा. इनमें तीन उत्तर भारत में तैनात होंगी जिसमें लेह (14 कोर), श्रीनगर (15 कोर) और नागरोटा (16 कोर) शामिल हैं. बाकी की दो पश्चिमी और पूर्वी क्षेत्रों में ऑपरेशन के लिए तैनात की जाएंगी. आगे चलकर कुल 23 बटालियन बनाने की योजना बनाई गई है. जबकि रुद्र ब्रिगेड की पहली तैनाती उत्तरी कमांड के 16 कॉर्प के छेत्र में की जा चुकी है.
सभी जवानों को स्पेशल ट्रेनिंग दी जाएगी. वो स्पेशल फोर्सेज के साथ ऑपरेशनल एक्सपीरियंस प्राप्त करेंगे. ये बटालियनें एडवांस हथियारों, नाइट विजन डिवाइसेज, ड्रोन और हाई लेवल कम्युनिकेशन तकनीक से लैस होंगी.
‘रुद्र ब्रिगेड’ और ‘भैरव’ कमांडो बटालियनें भारतीय सेना की सीमाओं पर तेज, संगठित और आधुनिक कार्रवाई की क्षमता को नई ऊंचाइयों तक ले जाएंगी. इन पहलों से न केवल ऑपरेशन की स्पीड बढ़ेगी बल्कि सीमा पर भारत की सुरक्षा और रणनीतिक स्थिति भी मजबूत होगी.