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जयपुर में भाजपा को समर्थन देने से पहले कांग्रेस पार्षदों का 'शुद्धिकरण', गंगाजल और गोमूत्र से किया गया 'शुद्ध'

Rajasthan Congress Councilors Purifies: जयपुर में भाजपा को समर्थन देने से पहले कांग्रेस पार्षदों ने गंगाजल और गोमूत्र से अपना 'शुद्धिकरण' किया. पार्षदों और अधिकारियों ने प्रतीकात्मक रूप से इस मिश्रण को 'पीया' और इसे उनके होठों समेत चेहरे पर छिड़का गया.

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Edited By: India Daily Live
Rajasthan Congress councilors purifies
Courtesy: X Post

Rajasthan Congress Councilors Purifies: जयपुर नगर निगम हेरिटेज (JMCH) ऑफिस को भ्रष्टाचार के दागों से शुद्ध करने और दलबदलू कांग्रेस पार्षदों को भाजपा को समर्थन देने से पहले उन्हें 'शुद्ध' किया गया. हवा महल से भाजपा विधायक बालमुकुंद आचार्य ने बुधवार को परिसर में पार्षदों पर भी गंगाजल और गोमूत्र का मिश्रण छिड़का. पार्षदों और अधिकारियों ने भी प्रतीकात्मक रूप से इस मिश्रण को 'पीया' और इसे उनके होठों समेत चेहरों पर छिड़का गया.

भाजपा ने भ्रष्टाचार के आरोपों के बाद जेएमसीएच की मौजूदा मेयर मुनेश गुर्जर को पद से हटा दिया था और उनकी जगह कुसुम यादव को उम्मीदवार बनाया था. कुसुम को कांग्रेस के सात दलबदलुओं और एक निर्दलीय विधायक का समर्थन मिला था. मंगलवार को आठों विधायक भाजपा में शामिल हो गए. यादव के कार्यभार संभालने से पहले बुधवार को बालमुकुंद आचार्य ने जेएमसीएच परिसर, पार्षदों और अधिकारियों का 'शुद्धिकरण' किया.

हाथोज धाम मंदिर के महंत भी हैं आचार्य बालमुकुंद

जयपुर के हवा महल विधानसभा क्षेत्र से पहली बार विधायक बने बालमुकुंद आचार्य स्थानीय लोगों के बीच लोकप्रिय हाथोज धाम मंदिर के महंत के रूप में जाने जाते हैं. महंत ने कहा कि हमने इसे गंगाजल से शुद्ध किया है और सभी अशुद्धियों को दूर किया है. वैदिक मंत्रों के साथ पूजा-अर्चना के बाद बहनजी (नई मेयर) ने इस नवमी तिथि पर कार्यभार संभाल लिया है. अब नगर निगम में पवित्रता का माहौल रहेगा. मेयर ने हनुमान चालीसा के पाठ और जय श्री राम के मंत्रों और नारों के साथ कार्यभार संभाला.

कांग्रेस पार्षदों की ओर से भाजपा को समर्थन देने पर उन्होंने कहा कि उन्हें गंगाजल पिला दिया है. सब गंगाजल, गोमूत्र पी चुके हैं और वैदिक मंत्रों का उच्चारण उनके कानों में जा चुका है. अब वो पूर्ण सनातनी हो चुके हैं और सनातनियों के रूप में, वे इस शहर को सुंदर बनाने के लिए हमारे साथ हैं. उन्होंने कहा कि नगर निगम के अधिकारी भी 'शुद्ध' हो गए हैं. अधिकारी अब तक अशुद्ध थे. उन्हें इस तरह के काम (भ्रष्टाचार) करने के लिए मजबूर किया गया। अब वे भ्रष्टाचार से मुक्त हो गए हैं.

गोमूत्र पिलाने के पीछे क्या दिया तर्क?

ये पूछे जाने पर कि क्या जेएमसीएच के अधिकारियों को भी गंगाजल और गोमूत्र दिया गया, उन्होंने कहा कि गंगाजल गोमूत्र आज सबको पिलाया है तभी तो प्रवेश किया है. हमारी संस्कृति में गंगाजल और गोमूत्र इसलिए पिलाया जाता है ताकि अगर आपने कोई अपराध किया है तो अब आप उससे मुक्त हो जाएं. अब आप सनातनी हैं, पवित्रता से काम करें. 

इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए बालमुकुंद आचार्य ने कहा कि मैंने जेएमसी कार्यालय में गंगाजल और गोमूत्र छिड़का क्योंकि वहां भ्रष्टाचार था. आज से, जेएमसीएच भ्रष्टाचार मुक्त है. उन्होंने कहा कि उनके पास एक बोतल है जिसमें दोनों का मिश्रण है. उन्होंने कहा कि मैं इसे अपनी कार में रखता हूं और रोजाना पीता हूं. उन्होंने आगे कहा कि उन्होंने इसे पार्षदों पर छिड़का और वे यह नहीं कह सकते कि पानी की बूंद ने उन्हें छुआ नहीं.

शुद्धिकरण से गुजरने वाले कांग्रेस पार्षदों ने क्या कहा?

'शुद्धिकरण' से गुज़रने वाले पार्षदों में से एक मनोज मुदगल ने कहा कि वे निगम को भ्रष्टाचार और नकारात्मकता से मुक्त करने और इसके शुद्धिकरण के लिए गंगाजल छिड़क रहे थे. उन्होंने इसे मेयर के दफ़्तर में छिड़का, फिर मेयर के केबिन में, और जब उन्होंने हम पर छिड़का तो हम पीए के कमरे में थे. हिंदू धर्म में यह सामान्य बात है, जब भी हवन होता है तो गंगाजल और गोमूत्र छिड़का जाता है... यह स्वच्छता के लिए है, यह संस्कार है. यह कोई बड़ी बात नहीं है.

वहां मौजूद एक अन्य पार्षद ज्योति चौहान ने कहा कि हम क्या कह सकते हैं, वह हमारे बड़े हैं, हमारे वरिष्ठ हैं. उन्होंने पूरे जेएमसी हेरिटेज हेड ऑफिस में गंगाजल छिड़का. वह कह रहे थे कि वह इसे भ्रष्टाचार से मुक्त कर रहे हैं, वह गंदगी (भ्रष्टाचार की) साफ कर रहे हैं.

कांग्रेस पार्षद उत्तम शर्मा ने कहा कि वे पूरे निगम में ऐसा कर रहा था. सौभाग्य से, हम उस कमरे में थे जब वह आया और हम सभी पर इसका छिड़काव करना शुरू किया. लेकिन उसका इरादा हमें गंगाजल पिलाने का नहीं था - पार्षद भ्रष्ट नहीं हैं कि हमें शुद्ध करने की जरूरत है. निगम का पूरा परिसर भ्रष्ट था. उन्होंने कहा कि जब उन सहित अन्य पार्षदों पर यह मिश्रण छिड़का गया तो “लोगों ने इसका गलत अर्थ निकाला, लेकिन बालमुकुंद आचार्य जी ने सही काम किया.