Bilkis Bano Case: सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को गुजरात सरकार द्वारा दायर याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें अदालत के फैसले की समीक्षा की मांग की गई थी. 2002 में हुए गुजरात में दंगों के दौरान बिलकिस बानो के साथ बलात्कार और उसके परिवार के 7 सदस्यों की हत्या के 11 दोषियों को दी गई छूट को रद्द करते हुए राज्य के खिलाफ कुछ टिप्पणियां की गई थीं. इन टिप्पणियों को हटाने के लिए गुजरात सरकार ने पुर्नविचार याचिका दायर की थी जिसे एससी ने खारिज कर दी है.
न्यायमूर्ति बी वी नागरत्ना और न्यायमूर्ति उज्जल भुयान की पीठ ने समीक्षा याचिका को खुली अदालत में सूचीबद्ध करने के आवेदन को भी खारिज कर दिया है.
गुजरात सरकार ने याचिका दायर करके मामले में दोषियों को समय से पूर्व की गई रिहाई के फैसले पर सुप्रीम कोर्ट द्वारा की गई टिप्पणियों को अनुचित बताते हुए हटाने का अनुरोध किया था. सरकार की ओर से कहा गया था कि 8 जनवरी को दिया गया फैसला त्रुटिपूर्ण था. इस फैसले में राज्य को अधिकार को हड़पने का दोषी ठहराया गया था.
गुजरात में हो रहे दंगों के दौरान 3 मार्च 2002 कोदाहोद के रंधिकपुर गांव में 11 लोगों ने 5 महीने की गर्भवती बिलकिस बानो के साथ गैंगरेप किया था. दंगाइयों ने उनकी 3 साल की बेटी समेत उनके परिवार के 7 सदस्यों को मौत के घाट उतार दिया था.
इस मामले में 11 दोषियों को उम्रकैद की सजा सुनाई गई थी लेकिन गुजरात सरकार ने 15 अगस्त 2022 को दोषियों को रिहा कर दिया था. हालांकि, बाद में सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात सरकार के इस फैसले को पलट दिया था और गुजरात सरकार पर टिप्पणी की थी. इसी साल 8 जनवरी को कोर्ट ने दोषियों को फिर से जेल भेज दिया था. कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए था कि यह राज्य सरकार द्वारा सत्ता के दुरुपयोग का उदाहरण है. इसी टिप्पणी को गुजरात सरकार ने वापस लेने के लिए याचिका दायर की थी.