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फिर न हो लोकसभा चुनाव वाली गलती! क्या महबूबा मुफ्ती और अब्दुल्ला को साथ ला पाएंगे राहुल गांधी?

Jammu Kashmir Assembly Elections: जम्मू-कश्मीर के विधानसभा चुनाव में पीडीपी और एनसी को साथ लाने के लिए कांग्रेस आतुर दिख रही है. हालांकि, उमर अब्दुल्ला पीडीपी से हाथ मिलाने से इनकार कर रहे हैं. ऐसे में अब राहुल गांधी जम्मू-कश्मीर जा रहे हैं. कहा जा रहा है कि राहुल गांधी पीडीपी मुखिया महबूबा मुफ्ती और एनसी के नेताओं से मिलकर दोनों को साथ लाने की कोशिश कर सकते हैं.

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Jammu Kashmir Elections
Courtesy: Social Media

जम्मू-कश्मीर के विधानसभा चुनाव का ऐलान होते ही सभी राजनीतिक दल सक्रिय हो गए हैं. भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने चुनाव प्रभारियों की नियुक्ति कर दी है. पीपल्स डेमोक्रैटिक पार्टी (पीडीपी) ने कई सीटों के लिए प्रभारी तय कर दिए हैं जो कि संभावित उम्मीदवार भी हैं. इस बीच कांग्रेस नेता राहुल गांधी श्रीनगर के दौरे पर जा रहे हैं. चर्चाए हैं कि राहुल गांधी पीडीपी की मुखिया महबूबा मुफ्ती और नेशनल कॉन्फ्रेंस (एनसी) के नेता फारुख अब्दुल्ला और उमर अब्दुल्ला से मुलाकात कर सकते हैं. कहा जा रहा है कि राहुल गांधी कोशिश कर रहे हैं कि वोटों का बंटवारा रोकने के लिए सब मिलकर चुनाव लड़ें ताकि लोकसभा चुनाव जैसा हश्र विधानसभा के चुनाव में न हो.

दरअसल, कांग्रेस, नेशनल कॉन्फ्रेंस और पीडीपी ने पहले गठबंधन किया था लेकिन लोकसभा चुनाव से ठीक पहले सीट बंटवारे को लेकर यह गठबंधन टूट गया. नतीजा यह हुआ कि खुद महबूबा मुफ्ती और उमर अब्दुल्ला भी लोकसभा चुनाव हार गए. कांग्रेस दो सीटों पर चुनाव लड़ी थी लेकिन उसे जीत नसीब नहीं हुई. सबसे अच्छा प्रदर्शन नेशनल कॉन्फ्रेंस का ही रहा और वह तीन सीटों पर चुनाव लड़कर दो पर जीतने में कामयाब रही.

लोकसभा चुनाव के नतीजों से समझें गणित

लोकसभा चुनाव में कांग्रेस और नेशनल कॉन्फ्रेंस ने साथ चुनाव लड़ा था. यह गठबंधन एक हद तक कामयाब रहा. नेशनल कॉन्फ्रेंस ने तीन सीटों पर चुनाव लड़ा और दो सीटों पर चुनाव जीता और तीसरी सीट पर दूसरे नंबर पर रही. वहीं, कांग्रेस ने जिन दो सीटों पर चुनाव लड़ा और दोनों पर ही दूसरे नंबर पर रही. बीजेपी ने दो सीटों पर चुनाव जीता. वहीं, पीडीपी एक भी सीट पर चुनाव नहीं जीत पाई और दो सीटों पर वह दूसरे नंबर पर रही. वहीं, एक सीट पर निर्दलीय चुनाव लड़ने वाले इंजीनियर राशिद चुनाव जीत गए थे.

अब विधानसभा चुनाव में भी ऐसा न हो इसी को ध्यान में रखते हुए राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खड़गे पहल कर रहे हैं. कहा जा रहा है कि राहुल गांधी कैसे भी करके नेशनल कॉन्फ्रेंस के साथ-साथ पीडीपी को भी साथ लाना चाहते हैं ताकि वोटों का बंटवारा न हो और इसका फायदा बीजेपी को न मिलने पाए. कांग्रेस खुद जम्मू-कश्मीर में काफी कमजोर हो चुकी है. गुलाम नबी आजाद जैसे नेता पार्टी छोड़ चुके हैं और काडर सुस्त हो चुका है. ऐसे में कांग्रेस के लिए फायदे की स्थिति तभी हो सकती है जब वह गठबंधन में चुनाव लड़े और सरकार बनाने की स्थिति तक पहुंचे.

क्या हैं चुनौतियां?

इस गठबंधन में जो चुनौतियां हैं वे सीटों के बंटवारे को लेकर हैं. कई ऐसी सीटें हैं जहां तीनों ही पार्टियां अपना दावा छोड़ने पर तैयार नहीं होंगी. ऐसा ही कुछ लोकसभा चुनाव के दौरान देखा गया था जब एनसी और पीडीपी में ठन गई थी और पीडीपी इस गठबंधन से बाहर हो गई थी. 2014 में सिर्फ 12 विधानसभा सीटें जीत पाने वाली कांग्रेस की हालत ऐसी है कि वह ज्यादा सीटों पर चुनाव लड़ती है तो उसका हाल बुरा ही होना है. गठबंधन होने पर वह ज्यादा सीटों पर दावा करने की स्थिति में भी नहीं है. ऐसे में उसके लिए फायदे का सौदा यही होगा कि वह पीडीपी और एनसी को ज्यादा से ज्यादा सीटें देकर गठबंधन के लिए मना पाए.

अब कांग्रेस के पास कोई बड़ा चेहरा नहीं है. वहीं, पीडीपी के पास महबूबा मुफ्ती और एनसी के पास उमर अब्दुल्ला के रूप में दो ऐसे चेहरे हैं जो मुख्यमंत्री रह चुके हैं ऐसे में इस गठबंधन का सबसे बड़ा पेच सीएम के नाम पर ही फंस सकता है. उमर अब्दुल्ला बार-बार कह रहे हैं कि उनकी पार्टी पीडीपी के साथ गठबंधन नहीं करेगी. ऐसे में राहुल गांधी के लिए यह आसान नहीं होगा कि वह अब्दुल्ला परिवार को पीडीपी के साथ जाने के लिए मना पाएं.

क्या करेंगी महबूबा मुफ्ती?

उधर महबूबा मुफ्ती ने चुनाव का ऐलान होते ही 8 सीटों पर अपने प्रभारियों के नाम घोषित कर दिए. रोचक बात यह है कि इसमें महबूबा मुफ्ती की बेटी इल्तिजा मुफ्ती का नाम भी है. यह इशारा कर रहा है कि इल्तिजा इस बार चुनावी राजनीति में एंट्री करने जा रही हैं. उनके अलावा, हाल ही में लोकसभा का चुनाव हारे वहीद-उर-रहमान पर्रा के साथ-साथ रफीक अहमद नाइक, गुलाम नबी लोन हंजुरा और सरताज अहमद मदनी जैसे नेताओं के नाम शामिल हैं जो बता रहे हैं कि ये लोग चुनाव लड़ने वाले हैं.