More Firepower for Indian Army: भारतीय सेना ने अगली पीढ़ी की तोपों की खरीद के लिए एक टेंडर जारी किया है, जिन्हें घरेलू रूप से डिजाइन, विकसित और निर्मित किया जाएगा. शुरुआती दौर में, सेना को इन तोप सिस्टम में से 400 की आवश्यकता है, लेकिन आने वाले वर्षों में पुराने हथियारों को बदलने के साथ मांग में काफी वृद्धि होने की उम्मीद है.
प्राइवेट डिफेंस मैन्युफैक्चरिंग कंपनियां, जिन्होंने हाल के वर्षों में तोप सिस्टम के विकास में पर्याप्त निवेश किया है, नए टोव्ड गन सिस्टम के अनुमानित 7,000 करोड़ रुपये के खरीद में मजबूत रुचि दिखा रही हैं.
इन तोपों की खरीद के लिए कुछ शर्तें भी रखी गई हैं जिसमें इस सिस्टम को भारत में डिजाइन किया जाना चाहिए और कॉन्ट्रैक्ट प्राइस के आधार पर 50% से अधिक स्वदेशी सामग्री होनी चाहिए.
ईटी रिपोर्ट के अनुसार, कॉन्ट्रैक्ट के लिए सबसे टॉप दावेदारों में लार्सन एंड टूब्रो हैं, जो पहले से ही सेना को K9 वज्र सेल्फ प्रोपेल्ड तोपों को तैयार कर चुका है, साथ ही भारत फोर्ज और टाटा एडवांस्ड सिस्टम्स लिमिटेड, जिन्होंने डीआरडीओ (रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन) के साथ मिलकर एडवांस्ड टोव्ड आर्टिलरी गन सिस्टम (ATAGS) विकसित किया है वो भी सेना की ओर से जारी किए गए इस टेंडर को हासिल करने की रेस में शामिल हैं.
अत्याधुनिक 155mm/52 कैलिबर तोपें वर्तमान तोपों, जिनमें ATAGS भी शामिल है, की तुलना में हल्की और अधिक बहुमुखी होंगी. सेना वर्तमान सेवा में मौजूद सिस्टम की तुलना में हाई ऑटोमैटिक और सटीकता के साथ-साथ भविष्य को ध्यान में रखते हुए कई तरह के खास गोला-बारूद फायर करने की क्षमता की तलाश कर रही है.
वर्तमान में, भारत की अधिकांश तोपें 130 मिमी फील्ड गन से बनी हैं, जिन्हें धीरे-धीरे शारंग परियोजना के तहत 155 मिमी तक अपग्रेड किया जा रहा है. हालांकि सेना के टेंडर में 400 तोपों की तुरंत आवश्यकता की बात की गई है, लेकिन उसी प्रकार की 1,200 से अधिक तोपों की कुल आवश्यकता है.
सूत्रों का कहना है कि बजटीय कारणों से खरीद बैचों में किया जा रहा है, क्योंकि सेना वर्तमान में पाइपलाइन में कई खरीद के साथ अपनी तोप शक्ति को बढ़ाने पर ध्यान दे रही है, जिसमें 155mm/52 कैलिबर ATAGS के लिए कॉन्ट्रैक्ट की प्रक्रिया भी शामिल है.