नई दिल्ली: लोकसभा में मंगलवार को चुनावी सुधारों पर चर्चा के दौरान विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने सरकार पर चुनावी व्यवस्था से छेड़छाड़ के आरोप लगाए. उन्होंने पूछा कि आखिर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार मुख्य न्यायाधीश को चुनाव आयुक्त चयन समिति से बाहर क्यों रखना चाहती है.
राहुल गांधी ने दावा किया कि वह चयन समिति के सदस्य तो हैं, लेकिन प्रधानमंत्री और गृह मंत्री के सामने उनकी राय का कोई प्रभाव नहीं पड़ता. उन्होंने मतदाता सूची, चुनाव की तारीखों और चुनाव आयोग की निष्पक्षता पर भी सवाल उठाए.
राहुल गांधी ने सबसे पहले पूछा कि आखिर मुख्य न्यायाधीश को चयन समिति से क्यों हटाया गया. उनके अनुसार, 'क्या हम CJI पर भरोसा नहीं करते?' उन्होंने कहा कि 2023 के कानून ने चयन पैनल की स्वतंत्रता कम कर दी है. इस बदलाव के पीछे सरकार की मंशा पर उन्होंने गंभीर सवाल उठाए.
राहुल गांधी ने कहा कि बतौर विपक्षी नेता वह चयन समिति का हिस्सा हैं, लेकिन उनके पास कोई शक्ति नहीं है. उन्होंने कहा कि समिति में प्रधानमंत्री मोदी और गृह मंत्री अमित शाह के रहते वह संख्या में कम पड़ जाते हैं. इसलिए, कोई भी निर्णय उनकी सहमति के बिना भी हो सकता है.
दूसरा सवाल उठाते हुए राहुल गांधी ने पूछा कि सरकार ऐसा कानून क्यों लाई जिसमें चुनाव आयुक्तों को उनके पद पर रहते लिए गए फैसलों के लिए किसी तरह की सजा से सुरक्षा मिलती है. उन्होंने दावा किया कि इससे चुनाव आयोग की जवाबदेही कम होती है और सरकार को अप्रत्यक्ष नियंत्रण मिलता है.
राहुल का तीसरा आरोप यह था कि चुनावों की तारीखें ऐसे तय होती हैं जो प्रधानमंत्री की रैलियों और अभियान के लिए अनुकूल हों. उन्होंने कहा कि इससे चुनाव आयोग की स्वतंत्रता पर सवाल खड़ा होता है और जनता का भरोसा कमजोर पड़ता है. उन्होंने कहा कि कई बार चुनावों का कैलेंडर राजनीतिक सुविधा को ध्यान में रखकर तय किया जाता है.
राहुल गांधी ने दावा किया कि देश के कई राज्यों में मतदाता सूची में गंभीर कमियां पाई गईं. उन्होंने कहा कि बिहार में 1.2 लाख डुप्लीकेट फोटो मिले, जबकि मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश में भी कई अनियमितताएं सामने आईं. उन्होंने आरोप लगाया कि चुनाव आयोग ने उनकी किसी भी चिंता का जवाब नहीं दिया और न ही समस्याओं को दूर करने का प्रयास किया.