नई दिल्ली: लोकसभा में मंगलवार को चर्चा का माहौल उस समय बदल गया जब राहुल गांधी ने अपनी पहचान बन चुकी टी-शर्ट वाली छवि छोड़कर खादी का कुर्ता पहना.
सत्ता पक्ष के सांसदों ने इस बदलाव पर टिप्पणी की तो राहुल ने इसे अपने भाषण का आधार बना लिया. उन्होंने समझाया कि खादी महात्मा गांधी की आत्मनिर्भर भारत की सोच का प्रतीक है और चुनाव व्यवस्था में समानता व पारदर्शिता की जरूरत को इसी विचारधारा से जोड़ा. उनके पूरे भाषण में स्वदेशी, सद्भाव और लोकतांत्रिक मूल्यों की झलक दिखाई दी.
लोकसभा की कार्यवाही शुरू होते ही सांसदों की नजर राहुल गांधी के परिधान पर गई. अपनी भारत जोड़ो यात्रा के दौरान उन्होंने लगातार टी-शर्ट पहनी थी, लेकिन इस बार वह खादी का कुर्ता पहनकर आए. हल्की मुस्कुराहट के साथ उन्होंने कहा, 'आज पहना हूं खादी…', और यहीं से उन्होंने अपने तर्कों की भूमिका तैयार कर दी. उनकी बात पर सत्ता पक्ष की बेंचों से चुटकी भी ली गई.
चुनावी सुधारों पर बोलते हुए राहुल ने कहा कि महात्मा गांधी ने खादी पर इसलिए जोर दिया क्योंकि यह आत्मनिर्भरता, समानता और राष्ट्रीय एकता का प्रतीक है. उन्होंने कहा कि गांधीजी के लिए खादी सिर्फ एक कपड़ा नहीं था, बल्कि जनता की आवाज और भारतीयता का रूप था. इसी सोच को उन्होंने चुनावी व्यवस्था में निष्पक्षता और भरोसे से जोड़कर समझाया.
राहुल गांधी ने कहा कि खादी अलग-अलग राज्यों की विविधता को एक धागे में पिरोती है. उन्होंने कहा 'आप किसी भी राज्य में जाइए, वहां आपको अलग-अलग तरह का कपड़ा मिलेगा… हर कपड़े में हजारों धागे एक-दूसरे को थामे रहते हैं.' यह तर्क देकर उन्होंने बताया कि भारत भी 1.5 अरब लोगों का वही ताना-बाना है, जिसे लोकतंत्र और वोट जोड़कर रखते हैं.
अपने भाषण में राहुल ने चुनावी संस्थाओं की निष्पक्षता का मुद्दा भी उठाया. उन्होंने कहा कि चुनाव प्रणाली को सभी के लिए समान और भरोसेमंद बनाना जरूरी है, क्योंकि लोकतंत्र का पूरा ढांचा इसी पर टिका है. उन्होंने चेताया कि संस्थानों पर किसी प्रकार का असंतुलन लोगों की उम्मीदों और अधिकारों को कमजोर कर सकता है.
राहुल ने कहा कि जैसे खादी के हर धागे की अपनी अहमियत होती है, वैसे ही भारत के हर नागरिक का वोट समान महत्व रखता है. उन्होंने कहा कि चुनावी सुधारों का वास्तविक उद्देश्य यह सुनिश्चित करना होना चाहिए कि देश का हर नागरिक खुद को इस लोकतांत्रिक ताने-बाने का बराबरी का हिस्सा महसूस करे. उनके इस तर्क को विपक्षी बेंचों का समर्थन भी मिला.