नई दिल्ली: मद्रास हाई कोर्ट के आदेश से शुरू हुआ कार्तिगई दीपम विवाद अब सीधे संसद तक पहुंच गया है. INDIA गठबंधन ने जस्टिस जी.आर. स्वामीनाथन के खिलाफ महाभियोग की प्रक्रिया शुरू करने की मांग करते हुए गंभीर आरोप लगाए हैं.
आरोपों में न्यायिक निष्पक्षता पर सवाल, राजनीतिक विचारधारा का प्रभाव और धार्मिक मुद्दों पर पक्षपात शामिल हैं. वहीं भाजपा इस कदम को विपक्ष की 'राजनीतिक दबाव की रणनीति' बता रही है. मामला अब सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच चुका है और राजनीतिक माहौल गरम है.
DMK नेता कनिमोझी, टी.आर. बालू, अखिलेश यादव और प्रियंका गांधी वाड्रा सहित INDIA गठबंधन के नेताओं ने लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला को महाभियोग नोटिस सौंपा. नोटिस 9 दिसंबर 2025 को तैयार किया गया और अनुच्छेद 217 तथा 124 के तहत न्यायाधीश को हटाने की मांग की गई. नोटिस के साथ राष्ट्रपति और मुख्य न्यायाधीश को भेजे गए पत्रों की प्रतियां भी संलग्न थीं.
नोटिस में आरोप लगाया गया कि जस्टिस स्वामीनाथन ने एक वरिष्ठ वकील और एक विशेष समुदाय के अधिवक्ताओं को अनुचित लाभ पहुंचाया. आरोप यह भी था कि उनके कुछ फैसले राजनीतिक विचारधारा से प्रभावित लगे, जो संविधान की धर्मनिरपेक्ष मूल भावना के खिलाफ हैं. INDIA गठबंधन ने कहा कि ऐसे आचरण से न्यायपालिका की पारदर्शिता पर गंभीर सवाल उठते हैं.
कार्तिगई दीपम त्योहार पर थिरुपरनकुंद्रम पहाड़ी पर दीप जलाने की अनुमति वाले जज के आदेश से विवाद गहराया. आदेश में कहा गया था कि दीप 4 दिसंबर तक ‘दीपथून’ स्तंभ पर जलाया जाए और सुरक्षा के बीच एक सीमित समूह को यह करने दिया जाए. मंदिर प्रबंधन और दरगाह समिति की आपत्तियों को अदालत ने खारिज कर दिया था, जिसके बाद मामला राजनीतिक रूप से संवेदनशील हो गया.
राज्य सरकार ने कानून-व्यवस्था का हवाला देते हुए आदेश लागू करने से इनकार कर दिया, जिसके बाद हिंदू संगठनों ने विरोध शुरू कर दिया. भाजपा नेता के. अन्नामलाई ने INDIA गठबंधन पर 'हिंदू विरोधी रुख' दिखाने का आरोप लगाया. भाजपा प्रवक्ता नारायण तिरुपाठी ने इसे ब्राह्मण समुदाय के एक जज को डराने की कोशिश बताया और कहा कि विपक्ष के पास महाभियोग पारित कराने की पर्याप्त संख्या नहीं है.
तमिलनाडु सरकार ने हाई कोर्ट के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया, जिसे सर्वोच्च न्यायालय ने सुनवाई के लिए स्वीकार कर लिया. अदालत अब यह तय करेगी कि दीप जलाने की अनुमति पर अंतिम निर्णय क्या होगा. इस बीच, संसद से लेकर सड़क तक यह विवाद राजनीतिक और सामाजिक बहस का केंद्र बना हुआ है.