भारतीय नौसेना ने 1 जुलाई 2025 को मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड (MDSL) में निर्मित प्रोजेक्ट 17A के दूसरे स्टील्थ फ्रिगेट, यार्ड 12652 (उदयगिरी) को अपने बेड़े में शामिल किया. यह जहाज शिवालिक क्लास (प्रोजेक्ट 17) का उन्नत संस्करण है और भारत के समुद्री हितों के क्षेत्र में पारंपरिक और गैर-पारंपरिक खतरों से निपटने में सक्षम है. उदयगिरी, पूर्ववर्ती INS उदयगिरी का आधुनिक अवतार है, जिसे 31 साल की शानदार सेवा के बाद 24 अगस्त 2007 को सेवामुक्त किया गया था.
प्रोजेक्ट 17A: उन्नत तकनीक और स्टील्थ विशेषताएं
प्रोजेक्ट 17A के तहत सात फ्रिगेट्स का निर्माण मझगांव डॉक (मुंबई) और जीआरएसई (कोलकाता) में हो रहा है. उदयगिरी इनमें दूसरा जहाज है, जो उन्नत स्टील्थ विशेषताओं और अत्याधुनिक हथियारों व सेंसरों से लैस है. यह प्रोजेक्ट 17 की तुलना में तकनीकी रूप से काफी उन्नत है. युद्धपोत डिज़ाइन ब्यूरो की स्वदेशी डिज़ाइन क्षमता का यह एक शानदार उदाहरण है. उदयगिरी को ‘एकीकृत निर्माण’ दर्शन के तहत बनाया गया, जिसमें ब्लॉक चरणों में व्यापक प्री-आउटफिटिंग शामिल है, जिससे निर्माण अवधि केवल 37 महीने रही.
उन्नत हथियार और प्रणोदन प्रणाली
प्रोजेक्ट 17A जहाजों का ढांचा प्रोजेक्ट 17 की तुलना में 4.54% बड़ा है और इसमें अत्याधुनिक हथियार व सेंसर सुइट शामिल हैं. जहाज में सुपरसोनिक सतह-से-सतह मिसाइल सिस्टम, मध्यम दूरी की सतह-से-हवा मिसाइल सिस्टम, 76 मिमी गन, और 30 मिमी व 12.7 मिमी रैपिड-फायर क्लोज-इन हथियार प्रणाली शामिल हैं. जहाज में संयुक्त डीजल और गैस (CODOG) प्रणोदन प्रणाली है, जिसमें डीजल इंजन और गैस टरबाइन एक नियंत्रित पिच प्रोपेलर को शक्ति देते हैं. इसके अलावा, एक उन्नत एकीकृत मंच प्रबंधन प्रणाली (IPMS) जहाज की कार्यक्षमता को और बढ़ाती है.
आत्मनिर्भरता और रोजगार पैदा करना
उदयगिरी का निर्माण भारत की जहाज निर्माण, डिज़ाइन और इंजीनियरिंग क्षमता को दर्शाता है. इस परियोजना में 200 से अधिक MSMEs शामिल हैं, जो स्वदेशी औद्योगिक पारिस्थितिकी तंत्र को मजबूत करते हैं. जहाज में लगे प्रमुख हथियार और सेंसर स्वदेशी निर्माताओं से प्राप्त किए गए हैं. इस परियोजना ने लगभग 4,000 लोगों को प्रत्यक्ष रोजगार और 10,000 से अधिक लोगों को अप्रत्यक्ष रोजगार प्रदान किया है, जिससे MSMEs और आर्थिक विकास को बढ़ावा मिला है.
भविष्य की योजनाएं
प्रोजेक्ट 17A के शेष पांच जहाज मुंबई और कोलकाता में निर्माण के विभिन्न चरणों में हैं और 2026 के अंत तक क्रमिक रूप से नौसेना को सौंपे जाएंगे. यह परियोजना भारत की समुद्री ताकत और आत्मनिर्भरता को और मजबूत करेगी.