Prashant Kishor on Hindu Rashtra: नरेंद्र मोदी से लेकर राहुल गांधी तक के चुनावी रणनीतिकार रह चुके प्रशांत किशोर ने भाजपा को सलाह दी है कि आखिर कब पार्टी को हिंदू राष्ट्र की ओर ध्यान देना शुरू करना चाहिए. उन्होंने ये भी बताया कि कैसे 2024 में प्रधानमंत्री मोदी के लिए या भाजपा के खिलाफ वोट होगा? विपक्ष कैसे अपने मौके बर्बाद कर रहा है और क्यों नीतीश कुमार NDA में चले गए.
दिल्ली में इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में प्रशांत किशोर ने ब्रांड मोदी पर बात करते हुए कहा कि 2024 में वोट पीएम मोदी के पक्ष या विपक्ष में होगा? वोटर्स उनकी विचारधारा, उनकी कार्यशैली, उन्होंने क्या किया, क्या नहीं किया के बारे में चर्चा भी करेंगे, लेकिन ये स्पष्ट है कि वोट मोदी के नाम पर ही होगा.
विपक्ष से जुड़े एक सवाल पर प्रशांत किशोर ने कहा कि विपक्षी दल या संगठन कमजोर हो सकते हैं लेकिन भारत में विपक्ष कमजोर नहीं है. हममें से बहुत से लोग सोचते हैं कि पिछले 10 वर्षों में मोदी ने एकतरफ़ा काम किया है, लेकिन ये सच नहीं है. विपक्ष के पास कम से कम तीन (दिल्ली और बिहार में 2015 की चुनावी हार, 2016 की नोटबंदी के कारण संकट और 2018 की चुनावी हार) मौके थे, जब वे प्रधानमंत्री मोदी को घेर सकते थे. लेकिन विपक्ष ने कुछ नहीं किया, जिससे भाजपा को वापसी करने का मौका मिला.
प्रशांत किशोर ने कहा कि मान लीजिए कि जो लोग भाजपा के हिंदुत्व में विश्वास करते हैं, वे उनके साथ हैं. भाजपा के पास संगठन है, मैसेज है, मशीनरी है. लेकिन वोट देने गए 100 लोगों में से केवल 38 ने बीजेपी को वोट दिया. बाकी 62 ने उनके खिलाफ वोट किया. यानी ये ऐसे लोग हैं, जो हिंदुत्व के बावजूद, संगठन के बावजूद, ताकत के बावजूद, भाजपा के खिलाफ में वोट किया. अब चुनौती ये है कि इस 62 का बहुमत कैसे हासिल किया जाए? मैं हिंदुत्व का मुकाबला कैसे किया जाए, इस पर समय बर्बाद नहीं करूंगा.
प्रशांत किशोर ने कहा कि मेरा मानना है कि मंदिर एक बहुत बड़ा मुद्दा है. निश्चित रूप से मंदिर निर्माण भाजपा कार्यकर्ताओं, समर्थकों, मतदाताओं को उत्साहित करेगा और शायद मतदान प्रतिशत अधिक होगा. लेकिन मुझे ऐसे बहुत से लोग नहीं मिले जो कहते हों कि मंदिर के कारण, मैं भाजपा के साथ हूं. उन्होंने कहा कि मंदिर के मुकाबले अनुच्छेद 370 के कारण कई मतदाता भाजपा के पक्ष में आ गए. लेकिन मंदिर निश्चित रूप से एक स्टेरॉयड है लेकिन यह आपको अधिक वोट नहीं देगा.
प्रशांत किशोर ने कहा कि मुझे हिंदू समाज में कोई बहुत बड़ा बदलाव नहीं दिख रहा है. ऐसा नहीं है कि एक समुदाय के रूप में हिंदू अधिक कट्टरपंथी हो रहे हैं, अचानक हिंदू मुसलमानों से नफरत करने लगे हैं, हम हिंदू राष्ट्र चाहते हैं. ऐसा नहीं है. उन्होंने कहा कि जब भाजपा को 55 फीसदी हिंदुओं का समर्थन मिल जाए, तब सनातन धर्म, हिंदू राष्ट्र के आह्वान पर ध्यान देना शुरू कर देना चाहिए. उन्होंने कहा कि ऐसा करने के लिए कम से कम 55 से 60 प्रतिशत हिंदुओं की आवश्यकता है. हालांकि, इसमें 20 से 30 साल लग सकते हैं और अगर बीच में कोई काउंटर आता है, तो ये संख्या नीचे भी जा सकती है.
प्रशांत किशोर ने 'सेकुलर' शब्द को लेकर पूछे गए सवाल पर कहा कि इसके इस्तेमाल से विपक्ष को फायदा नहीं हो रहा है, क्योंकि वे काम में सक्षम नहीं हैं, वे आलसी हैं. आपने (विपक्ष) आम चुनाव से नौ महीने पहले इंडिया गठबंधन बनाया. आखिर ये गठबंधन दो साल पहले या बंगाल चुनाव के तुरंत बाद भी बनाया जा सकता था, आखिर आपको किसने रोका था. ये वो समय था, जब भाजपा के लिए मुश्किलें खड़ी हो गई थीं. उन्होंने कहा कि जून 2023 में इंडिया गठबंधन की पहली बैठक से लेकर अब तक उन्होंने एक भी सार्वजनिक बैठक नहीं की है.
प्रशांत किशोर ने कहा कि ऐसा होता भी है और नहीं भी होता है, इसीलिए आप लोकसभा बनाम विधानसभा में बहुत अलग परिणाम देखते हैं. आप गांव में जाएं और किसी व्यक्ति से पूछें कि आपने लोकसभा में मोदी को वोट दिया था, तो विधानसभा में किसी क्षेत्रीय पार्टी या किसी और को वोट क्यों दे रहे हैं?
दरअसल, हम (आम आदमी) सारी शक्ति एक व्यक्ति के हाथ में नहीं देना चाहता, ये बात आम आदमी मुझसे और आपसे ज्यादा बेहतर समझता है. उसे एक व्यक्ति के ज्यादा ताकतवर हो जाने का डर होता है. उन्होंने कहा कि 'लोकतंत्र खतरे में है' वाला तर्क मतदाताओं को इसलिए नहीं प्रभावित करता, क्योंकि भारत ने पहले भी सत्ता का इस तरह का केंद्रीकरण देखा है. इसलिए अगर आप बीजेपी समर्थकों से संस्थाओं के दुरुपयोग के बारे में बात करेंगे तो वे तुरंत कहेंगे कि ऐसा इंदिरा गांधी के समय में भी हुआ था.
प्रशांत किशोर ने कहा कि नीतीश कुमार इसलिए NDA में नहीं शामिल हो रहे हैं कि उन्हें ज्यादा वोट मिलेंगे. भाजपा को लोकसभा में बिहार में सीटें गंवानी पड़ेंगी, क्योंकि उन्हें अब नीतीश कुमार को एडजस्ट करना होगा, इसलिए वे कम सीटों पर लड़ेंगे. क्योंकि उन्हें पता है कि नीतीश कुमार के बिना बिहार में राजनीति नहीं कर सकते. भाजपा आंकड़ों और फैक्ट्स को जानती है. मैं कहूंगा कि ये रणनीति है, जिसमें उन्होंने 2024 के जंग को जीतने के लिए सीटों वाली लड़ाई को हारने का फैसला किया है. उन्होंने कहा कि NDA ने इंडिया गठबंधन के संस्थापकों में से एक को साथ लेकर विपक्ष को बड़ा मनोवैज्ञानिक झटका दिया है.