केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने शनिवार को खुलासा किया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कैबिनेट में कहा कि मंत्रालयों और मुख्यमंत्री को हटाने के बिल में प्रधानमंत्री को एक्सेपशनल रखने की सिफारिश की गई थी, लेकिन उन्होंने खुद को अपवाद देने से इंकार कर दिया. मोदी का कहना था कि प्रधानमंत्री भी एक नागरिक हैं और उन्हें कोई विशेष सुरक्षा नहीं मिलनी चाहिए.
गौरतलब है कि संसद में तीन- 130वां संविधान (संशोधन) बिल, जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन (संशोधन) बिल और केंद्र शासित प्रदेश (संशोधन) बिल- यह प्रस्तावित करते हैं कि कोई मंत्री, मुख्यमंत्री या प्रधानमंत्री अगर 30 लगातार दिन जेल में रहे और अपराध की सजा पांच साल या उससे अधिक की हो, तो वह अपने पद से हट सकते हैं.
रिजिजू ने कहा कि अधिकांश मुख्यमंत्री हमारी पार्टी से हैं. अगर वे गलती करते हैं, तो उन्हें अपने पद से हटना चाहिए. उन्होंने कहा कि नैतिकता का भी मतलब होना चाहिए. उनका कहना था कि विपक्ष ने इस विधेयक का स्वागत किया होता अगर नैतिकता को केंद्र में रखा जाता.
#WATCH | Delhi | On the bill for removal of the PM, CMs, and ministers held on serious criminal charges, Union Minister Kiren Rijiju says, "PM Modi told the cabinet that the recommendation is to keep the prime minister out of this bill, but he did not agree. PM Modi refused to… pic.twitter.com/5zCHyCcddj
— ANI (@ANI) August 23, 2025
विपक्ष ने इन विधेयकों में किए गए संशोधनों को कठोर और संविधान विरोधी बताया है. उन्होंने आरोप लगाया कि इन विधेयकों का इस्तेमाल विपक्ष शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों को निशाना बनाने के लिए किया जाएगा, और केंद्रीय एजेंसियों की सिफारिश पर यह कदम उठाया जाएगा.
अमित शाह द्वारा पेश किए गए यह तीनों विधेयक विपक्षी विरोध और नारेबाजी के बीच पेश किए गए. विरोध के दौरान विधेयक का मसौदा फाड़कर उनके टुकड़े केंद्रीय गृहमंत्री पर फेंके गए. इसके बाद विधेयक को ध्वनि मतदान के जरिए पेश किया गया और संयुक्त संसदीय समिति (JPC) को भेजा गया.