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India Daily

India UK Relations: भारत और ब्रिटेन के बीच मुक्त व्यापार समझौते क्यों है ऐतिहासिक? यहां जानें

India UK Relations: इस साल जुलाई में दोनों देशों के बीच हुए मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) को वास्तव में महत्वपूर्ण  बताते हुए स्टार्मर ने पहले कहा था, 'यूरोपीय संघ छोड़ने के बाद से यह हमारा सबसे बड़ा समझौता है.

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Edited By: Reepu Kumari
India UK Relations
Courtesy: ANI

India UK Relations: ब्रिटेन के प्रधानमंत्री के रूप में अपनी पहली भारत यात्रा पर आए स्टार्मर ने मुंबई में पीएम मोदी के साथ द्विपक्षीय चर्चा की. दोनों देशों के प्रधानमंत्री की मुलाकात व्यापारिक दृष्टिकोण के लिहाज से बहुत अहम भी है और ऐतिहासिक भी. बातचीत दोनों देशों के बीच व्यापार, प्रौद्योगिकी सहयोग और रणनीतिक संबंधों को मजबूत करने पर केंद्रित रही. प्रधानमंत्री मोदी ने स्टारमर के साथ एक संयुक्त बयान में कहा, 'प्रधानमंत्री स्टारमर के नेतृत्व में भारत और ब्रिटेन के संबंधों में उल्लेखनीय प्रगति हुई है. इस वर्ष जुलाई में, ब्रिटेन की मेरी यात्रा के दौरान, हमने ऐतिहासिक व्यापक आर्थिक और व्यापार समझौते (सीईटीए) पर हस्ताक्षर किए.'

दोनों नेताओं ने मुम्बई में द्विपक्षीय बैठक की, जिसमें ब्रिटेन के नेता ने इस वर्ष के शुरू में दोनों देशों द्वारा हस्ताक्षरित मुक्त व्यापार समझौते के शीघ्र क्रियान्वयन पर जोर दिया.

व्यापार समझौते

इस साल जुलाई में दोनों देशों के बीच हुए मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) को वास्तव में महत्वपूर्ण  बताते हुए स्टार्मर ने पहले कहा था, 'यूरोपीय संघ छोड़ने के बाद से यह हमारा सबसे बड़ा समझौता है. मुझे लगता है कि यह भारत का भी अब तक का सबसे बड़ा समझौता है, इसलिए यह बेहद महत्वपूर्ण है.'

प्रधानमंत्री मोदी और ब्रिटेन के प्रधानमंत्री कीर स्टार्मर की मुलाकात

यहां दोनों देशों के प्रधानमंत्री की कुछ शानदार तस्वीरें सामने आई हैं.

 

जुलाई 2024 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ब्रिटेन यात्रा के दौरान भारत और ब्रिटेन के बीच मुक्त व्यापार समझौते (FTA) पर हस्ताक्षर किए गए थे. यह समझौता दोनों देशों के लिए ऐतिहासिक माना जा रहा है क्योंकि इसका मुख्य उद्देश्य द्विपक्षीय व्यापार को नए स्तर तक ले जाना है. इस समझौते के तहत कई प्रकार की वस्तुओं और सेवाओं पर शुल्क में कमी लाई जाएगी, जिससे दोनों देशों के व्यापारियों और निवेशकों को सीधा लाभ मिलेगा.

विशेषज्ञों का मानना है कि यह सौदा भारतीय कंपनियों के लिए यूरोपीय बाजार तक पहुंच आसान करेगा, वहीं ब्रिटेन को भी भारत जैसे विशाल बाजार में अधिक अवसर मिलेंगे. इससे न केवल निर्यात और आयात को गति मिलेगी बल्कि रोजगार और निवेश की संभावनाएं भी काफी बढ़ेंगी. इस समझौते का एक बड़ा लक्ष्य भारत और ब्रिटेन के बीच द्विपक्षीय व्यापार को सालाना 25.5 बिलियन पाउंड तक बढ़ाना है.