नई दिल्ली: भारत-पाकिस्तान संबंधों में 2025 सबसे तनावपूर्ण वर्षों में गिना गया. ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारत ने पाकिस्तान के 11 अहम एयरबेस पर सटीक हमले किए. सात महीने बीत जाने के बाद भी पाकिस्तान इन ठिकानों पर हुए नुकसान से उबर नहीं पाया है.
नई सैटेलाइट तस्वीरों, रक्षा विशेषज्ञों के आकलन और हालिया पाकिस्तानी स्वीकारोक्तियों से संकेत मिलता है कि 2026 में भी उसका बड़ा ध्यान एयरबेस मरम्मत पर ही रहेगा.
लंबे समय तक नुकसान को कम करके दिखाने के बाद पाकिस्तान ने अब पहली बार आधिकारिक रूप से भारतीय हमलों के प्रभाव को स्वीकार किया है. उप प्रधानमंत्री इशाक डार ने बताया कि नूर खान एयरबेस पर भारतीय ड्रोन हमले हुए, जिनमें सैन्य ढांचा क्षतिग्रस्त हुआ और कर्मी घायल हुए. यह बयान पाकिस्तान के पुराने दावों से अलग है और वैश्विक निगरानी के दबाव को भी दर्शाता है.
रावलपिंडी का नूर खान एयरबेस, जो सेना मुख्यालय के पास है, अभी भी तकनीकी मरम्मत में है. नई इमारतों के निर्माण के संकेत सैटेलाइट तस्वीरों में दिखे हैं. भोलारी एयरबेस पर क्षतिग्रस्त हैंगर तिरपाल से ढके हैं, जबकि मुरिद एयरबेस में कमांड इमारत पर बड़ा कवर लगाया गया है, जो लंबे सुधार कार्य की ओर इशारा करता है.
सरगोधा का मुशाफ एयरबेस, जहां रनवे को फिर से दुरुस्त किया गया है, अभी भी सीमित क्षमता में काम कर रहा है. जैकोबाबाद एयरबेस में रडार और वायु रक्षा प्रणाली पूरी तरह बहाल नहीं हो पाई है. यहां हैंगर की छत को चरणबद्ध तरीके से हटाकर दोबारा बनाया जा रहा है, जिससे स्पष्ट है कि पूर्ण संचालन में समय लगेगा.
रफीकी एयरबेस पर ढांचागत नुकसान के कारण उड़ान संचालन बाधित है. सुक्कुर एयरबेस को गंभीर आग और विस्फोट से भारी क्षति पहुंची, जिससे वह लगभग गैर-कार्यात्मक बना हुआ है. चुनियन एयरबेस में ईंधन डिपो और तकनीकी सुविधाएं नष्ट हो गईं, जबकि पासरूर एयरफील्ड की निगरानी क्षमता रडार ध्वस्त होने से खत्म हो चुकी है.
सियालकोट और स्कार्दू एयरबेस पर भी सपोर्ट सिस्टम और ईंधन भंडार के नष्ट होने से संचालन बुरी तरह प्रभावित है. एक अमेरिकी थिंक टैंक की रिपोर्ट ने 2026 में युद्ध की आशंका जताई थी, लेकिन मौजूदा हालात बताते हैं कि पाकिस्तान का बड़ा समय ढांचे की मरम्मत में ही जाएगा. यह स्थिति क्षेत्रीय सैन्य संतुलन पर भी असर डालती है.