नई दिल्ली: करीब छह दशकों तक बर्कशायर हैथवे की कमान संभालने के बाद वॉरेन बफेट आज सीईओ पद से अलग हो रहे हैं. ‘ओरेकल ऑफ ओमाहा’ के नाम से मशहूर बफेट ने एक साधारण टेक्सटाइल कंपनी को एक ट्रिलियन डॉलर से अधिक मूल्य वाले वैश्विक समूह में बदला. उनके हटने का समय इसलिए भी खास है क्योंकि अमेरिकी शेयर बाजार ऐतिहासिक ऊंचाई पर है और निवेशक भविष्य को लेकर सतर्क नजर आ रहे हैं.
95 वर्षीय वॉरेन बफेट ने बर्कशायर हैथवे को एक घाटे में चल रही टेक्सटाइल मिल से बीमा, रेलवे, ऊर्जा और उपभोक्ता ब्रांड्स वाले विशाल कारोबारी समूह में बदल दिया. आज कंपनी का मूल्यांकन एक ट्रिलियन डॉलर से ज्यादा है. कॉरपोरेट अमेरिका में यह बदलाव एक मिसाल माना जाता है, जिसे दोहराना बेहद मुश्किल समझा जाता है.
बफेट ने साफ किया है कि वह साल के अंत तक सीईओ पद छोड़ देंगे. जनवरी से ग्रेग एबल कंपनी की कमान संभालेंगे. हालांकि बफेट पूरी तरह अलग नहीं होंगे. वह अपने बड़े शेयर होल्डिंग को बनाए रखेंगे और जरूरत पड़ने पर मार्गदर्शन देते रहेंगे. बोर्ड और उनके परिवार ने भी इस बदलाव पर भरोसा जताया है.
बर्कशायर के सबसे बड़े शेयरधारक होने के कारण बफेट की भूमिका अब भी अहम रहेगी. उनके पास क्लास ए शेयर हैं, जिनकी वोटिंग पावर कहीं ज्यादा होती है. उनका कंपनी में निवेश बनाए रखना निवेशकों के लिए एक स्थिरता का संकेत माना जा रहा है, खासकर ऐसे दौर में जब नेतृत्व में बड़ा बदलाव हो रहा है.
वॉरेन बफेट का नाम लंबे समय तक टिकाऊ और अनुशासित निवेश से जुड़ा रहा है. उन्होंने हमेशा मजबूत बुनियादी कारोबार पर जोर दिया और सट्टेबाजी से दूरी बनाई. शेयरधारकों को लिखे उनके सालाना पत्र आज भी निवेशकों के लिए मार्गदर्शक माने जाते हैं. उम्र के कारण रफ्तार धीमी जरूर हुई है, लेकिन उनकी सीख आज भी प्रासंगिक है.
बफेट के जाने के साथ ही उनका चर्चित ‘बफेट इंडिकेटर’ फिर चर्चा में है. यह अमेरिकी शेयर बाजार के कुल मूल्य की तुलना देश की अर्थव्यवस्था से करता है. दिसंबर 2025 तक यह अनुपात करीब 221 प्रतिशत पहुंच गया है, जो अब तक का सबसे ऊंचा स्तर है. यह संकेत देता है कि बाजार महंगा हो सकता है, हालांकि यह सटीक समय बताने वाला औजार नहीं माना जाता.